रायपुर। आज रायपुर के सिविल लाइन स्थित वृंदावन हाल में आयोजित लोकतंत्र बनाम माओवाद थ्येन आनमन (Democracy vs Maoism Thien Anman) की विरासत के बोझ विषय पर बस्तर शांति समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विजय शर्मा (Deputy CM Vijay Sharma) ने कहा कि आज सभी के सामने बस्तर रो पड़ा है, आज बस्तर हो पड़ा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्होने दंश झेला है। बस्तर में आज अनेक लोग हैं जो अपनी आँखों के सामने अपने कितने दोस्त, कितने परिवारजन, कितने लोग इनके नहीं रहे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने संकल्प लिया है कि बस्तर से 3 साल में ही हम नक्सलवाद को समाप्त कर देंगे। उस दिशा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव की सरकार आगे बढ़ रही है और निश्चित रूप से बस्तर से हम नक्सलवाद को समाप्त कर देंगे। उन्होंने यह भी संकल्प लिया था कि 370 खत्म कर देंगे, देर सही लेकिन 370 हटा है। आप देखेंगे कि कितनी रणनीति पूर्वक काम करने से 370 हट पाया है। उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में माननीय विष्णुदेव जी की सरकार है। छत्तीसगढ़ में माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत स्पस्ट सोचना है। नक्सलवाद को समाप्त करना ही होगा। बस्तर के गाँव तक विकास ले जाना ही होगा। मेरे जैसे छोटे मोटे कार्यकर्ता भी इस पर लगे हुए है। बस्तर के गाँव तक विकास पहुंचे, बस्तर के गाँव तक उन्नति पहुँचे, इस पर काम किया जा रहा है। नक्सली पर्चा जारी करते है कि इसको मार देंगे, उसको मार देंगे और पर्चा में उसमें कहते हैं कि कारपोरेट वाले आ जाएंगे, बस्तर की सारी संपदा को लूट कर ले जायेंगे।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता लेखक राजीव रंजन ने कहा कि आज लोकतंत्र की अहमियत समझने के साथ माओवाद के दंश को भी जानना होगा। उससे सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा, वामपंथी सरकारों का इतिहास बताता है कि वह लाशों पर टिकी रही है। आज की पीढ़ी को माओत्से तुंग की तानाशाही और उसके मानव विरोधी साम्यवादी चरित्र को समझना होगा। दुनिया भर में वियतनाम, चीन, रूस से लेकर भारत तक इस विचारधारा ने करोड़ों लाशें बिछाने का कार्य किया है। एक दिलचस्प घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा यह विचारधारा किसी भी क़ीमत में सिर्फ अपनी सत्ता क़ायम रखना चाहती है, इसके लिए प्रकृति, मानवता, लोकतंत्र, संवैधानिक मूल्य मायने नहीं रखता। एक बार माओत्से तुंग को किसी ने बता दिया कि गौराया धान से अपना हिस्सा ले लेती है, माओ ने कहा सभी गौराया मार डाल।
हज़ारों की संख्या में गौराया मार डाली गई। गौरैया का अपराध बस इतना था कि प्रकृति के साथ उसका रिश्ता था, वह धान में लगे कीड़े से अपना पेट भरती थी। वह अपना हिस्सा ले रही थी, इससे धान से कीड़े मर रहे थे।लेकिन वामपंथी विचार तो बंदूक की नोक पर दुनिया ही नहीं प्रकृति को भी हाँकना चाहता है। उन्होंने कहा, बस्तर को बस्तर के नजरिए से देखना होगा। उन्होंने कहा चीन ने लोकतंत्र की मांग के लिए हुए आंदोलनों को इतिहास से मिटा दिया। लाखों छात्र का कत्ल कर दिया गया। भारत में वामपंथी सत्ता परिवर्तन के लिए हिंसा का मार्ग अपनाते हैँ। हिंसा इस विचारधारा के मूल में है।
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