दशकों तक वीरप्पन ने अवैध तस्करी के जरिये करोड़ों कमाए। उसको पकड़ना पुलिस के लिए लोहे के चने चाबाना जैसा था।
काशी की शास्त्रीय संगीत परंपरा में पं. शिवनाथ मिश्रा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है, खासकर जब से उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है।
मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल उर्फ भगिनी निवेदिता का जन्म 28 अक्टूबर 1867 को आयरलैंड के काउंटी टाइरोन में हुआ था। जब वह दस साल की थी तो उनके पिता की मृत्यु हो गई। हालांकि, वे मां और दो भाई-बहनों के साथ आयरलैंड में अपने दादा के घर लौट आई।
उस्ताद ने दुनियाभर की फेमस जगहों पर शो किए, जिनमें रॉयल अल्बर्ट हॉल, रॉयल फेस्टिवल हॉल, केनेडी सेंटर, हाउस ऑफ कॉमंंस, फ्रैंकफर्ट का मोजार्ट हॉल, शिकागो सिंफनी सेंटर, ऑस्ट्रेलिया का सेंट जेम्स पैलेस और ओपेरा हाउस शामिल है।
ऐसा भी कहा जाता है कि पुतिन दुनिया को अपनी तंदुरुस्ती दिखाने के लिए एडवेंचर एक्टिविटी भी करते हैं।
देवकीनंदन खत्री जैसे बरगद की छांव में पनपना कोई आसान बात नहीं, लेकिन दुर्गा में पिता की लेखनी का गुण कूट-कूट कर भरा था। हिंदी भाषा का पहला आधुनिक उपन्यास अगर बाबूजी ने रचा तो बेटे ने परंपरा को बड़ी सुघड़ता से आगे बढ़ाया।
कुमारी शैलजा की पार्टी से नाराजगी तो इसी बात से जाहिर हो गई थी कि वह चुनाव प्रचार शुरू होने के पहले हफ्ते लगभग पूरे सीन से ही बाहर थीं।
सुनील शास्त्री ने अनुसार उनके पिता जी ने दूसरे ही दिन सुबह ड्राइवर से पूछा कि कल शाम के बाद रात में गाड़ी कितनी किलोमीटर चली थी। इसके बाद, ड्राइवर ने जवाब में बताया कि गाड़ी 14 किमी तक चली थी।
महात्मा गांधी की अगुवाई में देश में भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था। शहर में महिलाओं की भीड़ शहर में स्थित पुलिस थाने में तिरंगा फहराने की योजना पर आगे बढ़ रही थी।
महज चित्रकारी के खाके में इन्हें फिट करना उचित नहीं होगा। ये ऐसे रचनाकार थे जो रंग कैनवास पर, लकड़ियों पर, दीवारों पर भरते भी थे और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए मूर्तिकला और साहित्य रचते भी थे।