रायपुर। छत्तीसगढ़ में रीएजेंट खरीदी को लेकर सामने आए बहुचर्चित घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने शनिवार देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई के साथ छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) के दो महाप्रबंधक (GM) शामिल हैं। इसके अलावा CGMSC से जुड़े तीन और अधिकारी वसंत कौशिक, शिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और दीपक बांधे को भी हिरासत में लिया गया है।
EOW ने यह कार्रवाई लंबे समय तक चली पूछताछ के बाद की, जिसमें दो वरिष्ठ IAS अफसरों समेत हेल्थ डिपार्टमेंट और CGMSC के दर्जनभर अधिकारियों को तलब किया गया था। पूछताछ के बाद जो तथ्य सामने आए, उनसे यह साफ हुआ कि सार्वजनिक धन के दुरुपयोग में कई स्तरों पर मिलीभगत रही।
इससे पहले रीएजेंट सप्लाई करने वाली मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोप है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान बिना बजटीय स्वीकृति के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की गई, जिसमें बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी और फर्जीवाड़ा हुआ।
भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने इस घोटाले की ओर सबसे पहले संकेत किया था। उन्होंने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज पिंगआ को पत्र लिखते हुए बताया कि CGMSC ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान बिना किसी बजट स्वीकृति के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की है।
ऑडिट टीम ने जब CGMSC की दस्तावेजी पड़ताल की, तो पाया कि जरूरत से कहीं ज्यादा केमिकल्स और मेडिकल उपकरण खरीदे गए हैं। यहां तक कि उपकरणों को रखने के लिए जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजा गया, उनमें से 350 से अधिक केन्द्रों में न तो भंडारण की सुविधा थी, न तकनीकी स्टाफ। इसके बावजूद सप्लाई की गई सामग्री को ज़बरदस्ती खपाने की कोशिश की गई।
ऑडिट में यह भी सामने आया कि स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DHS) ने किसी तरह का बेसलाइन सर्वे या आवश्यकता मूल्यांकन किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट्स की मांग भेज दी थी। बिना किसी ग्राउंड रियलिटी के तैयार किए गए इन डिमांड लेटर्स के आधार पर भारी-भरकम खरीदारी कर ली गई।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह महज़ प्रशासनिक लापरवाही थी या किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा? EOW की प्रारंभिक रिपोर्ट यही संकेत देती है कि घोटाला सुनियोजित था, और इसमें विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की संलिप्तता रही है।
EOW आज इन पांचों अधिकारियों को विशेष अदालत में पेश करेगी, जहां उनकी पुलिस रिमांड मांगी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में कई और नाम सामने आ सकते हैं और आने वाले दिनों में इस मामले में और गिरफ्तारियां संभव हैं। जांच एजेंसी का मानना है कि यह घोटाला राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की जड़ों को खोखला करने का प्रयास था, जिसमें बजटीय अनुशासन, नैतिकता और जनहित—तीनों की बलि दी गई।
छत्तीसगढ़ में CGMSC की भूमिका पहले भी सवालों के घेरे में रही है, लेकिन इस बार जो रकम और पैमाना सामने आया है, वह राज्य के मेडिकल सिस्टम को झकझोर देने वाला है। अब यह देखना बाकी है कि जांच एजेंसियां इस मामले को कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता से अंजाम तक पहुंचाती हैं।