रायपुर। सेंट्रल जेल प्रबंधन (Central Jail Management) से बड़ी चूक होने की बात सामने आ रही है। बिना आदेश के ही अच्छे आचरण के अनुमोदन में शाब्दिक को पढ़ने की चूक हो गई और हत्यारोपी 8 दिन के लिए अपने घर पर रहा। लेकिन जैसे ही अपनी भूल की जानकारी सेंट्रल जेल प्रबंधन को हुई तो सभी जिम्मेदारों के होश उड़ गए। इस मामले में रायपुर के जेल अधीक्षक ने डिप्टी जेल अधीक्षक समेत 3 लोगों को नोटिस (Notice to 3 people) जारी किया है।
बताया जा रहा है कि इस नोटिस में जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य ने सहायक जेल अधीक्षक खुशबू मिश्रा, उप जेल अधीक्षक मोखनाथ प्रधान और प्रधान प्रहरी लेखराम ध्रुव को नोटिस भेजा है। नोटिस में उन्होंने इस लापरवाही के लिए स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही जांच की बात की है।
आज से 26 साल पहले 1998 में गिरौदपुरी के मड़वा गांव में एक हत्या हुई। हत्या जमीन विवाद को लेकर हुई। इस मामले में महावीर समेत कई लोग उसमें आरोपी बनाए गए थे। लंबी सुनवाई के बाद उसे उम्र कैद की सजा मिली थी।वह पिछले 14 सालों से जेल में था। जेल में अच्छे आचरण के लिए जेल प्रशासन ने उसे रिहा करने के लिए अनुमोदन किया।
बताया जा रहा है कि जब लेटर वापस आया तो उसमें रिहा नहीं किया जा सकता लिखा हुआ था। लेकिन वारंट शाखा के कर्मचारी ने ‘नहीं’ शब्द को धुंधलेपन के कारण पढ़ नहीं पाया। अफसरों ने भी इसकी जांच नहीं की, इसी गलतफहमी में कैदी को रिहा कर दिया गया।
महावीर रिहा होकर अपने घर चला गया। इधर जेल प्रशासन को अपनी गलती का पता चल गया तो जेल विभाग की टीम ने महावीर के घर पर पहुंचकर रिहाई के कुछ फॉर्मेलिटी में कमी होने की बात कही। फिर उसे वापस उठाकर जेल लाकर बंद कर दिया। करीब एक हफ्ते तक महावीर को तलाशने के बाद परिवार वालों को पता चला कि उसे वापस जेल पर भेज दिया गया।
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