छत्तीसगढ़। रासुका (Rasuka) पर राजनीति में उबाल अपने ऊफान पर है। ऐसे में कांग्रेस और BJP के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। रविवार को दिनभर इस पर दोनों पार्टियों के बीच बयानबाजी चली। इसी कड़ी में भाजपा ने एकात्म परिसर में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में रमन सिंह ने रासुका पर जमकर हमला बोला। इस दौरान पार्टी के अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व मंत्री राजेश मूणत और मीडिया प्रमुख अमित चिमनानी मीडिया से मुखातिब हुए।
प्रदेश में लागू रासुका कानून को लेकर डॉक्टर रमन सिंह ने कहा- रासुका कांग्रेस सुरक्षा कानून है, ये लोकतंत्र विरोधी कानून है। इसे असामान्य कानून व्यवस्था की परिस्थिति में लागू किया जाता है।आज कौन सी ऐसी असामन्य परिस्थिति हो गई। विधानसभा में कांग्रेस तो प्रदेश की कानून व्यवस्था को तो बेहतर बताती थी। क्या इनके नियंत्रण से कानून व्यवस्था बाहर हो गई जो रासुका लागू कर रहे हैं। कांग्रेस ने एक धर्म विशेष के सामने समर्पण किया है, सोनिया गांधी के दबाव से आदिवासियों को कुचलने की नियत से रासुका लाया गया।
डॉक्टर रमन सिंह ने आगे कहा- १९७० में कांग्रेस की सरकार ने रासुका बनाया। इस कानून में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है जमानत नहीं होती। कांग्रेस ने फिर आपातकाल लगाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ में रासुका के जरिए आपातकाल लगा रही है कांग्रेस। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने एक बार फिर से आपातकाल लगाने की साजिश रची है। अपने साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की राजनीति के तहत उसने प्रदेश में धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए च्रासुकाज् लगा दिया है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अघोषित आपातकाल लागू करने की शुरुआत लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचलने के लिए कानून बनाकर काफी पहले कर दी थी, लेकिन इससे जनता के सभी वर्गों का आक्रोश दोगुना हो गया। इससे घबराकर उन्होंने रासुका के बहाने आपातकाल जैसी अलोकतांत्रिक स्थिति का निर्माण कर दिया है। जब राज्य सरकार मान रही है कि उससे राज्य की कानून व्यवस्थाए नहीं संभल रही है तो उसे अपनी विफलता स्वीकार करते हुए कुर्सी छोड़ देना चाहिए।
आखिर ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हुई थी जिसके कारण रासुका लगाना पड़ा? जनता को इन परिस्थितियों की जानकारी क्यों नहीं दी गयी?
कोई संवेदनशील रिपोर्ट अगर है तो उसे जनता से साझा क्यों नहीं किया गया?
१ जनवरी २०२३ से यह आदेश प्रभावशील है, जबकि मीडिया में भी यह १२ जनवरी को आया। आखिर इतने बड़े फैसले को जनता से छिपा कर क्यों रखा गया? आखिर किस बात की परदेदारी है?
क्या अपने आलाकमान के साथ मिलकर कांग्रेस कोई बड़ी साजिश रच रही है?
सुकमा के एसपी और बस्तर के कमिश्नर जब इसाई मिशनरियों के खिलाफ सरकार को चेतावनी दे रहे थे, तब यही सरकार अशांति की किसी आशंका से इनकार कर रही थी, अब आदिवासी जब अपनी संस्कृति बचाने के लिए जागरूक हुए हैं, तो कांग्रेस बौखला क्यों रही है?
प्रदेश में कबीरधाम में मजहबी तत्वों को प्रश्रय देने के कारण पहली बार दंगे हुए, पहली बार कर्फ्यू लगा। अनेक बार बस्तर के आदिवासी बन्धु भी शिकायत करते रहे हैं, तब मजहबी उपद्रवियों के खिलाफ इन्हें ऐसे किसी कदम की आवश्यकता नहीं हुई?
आखिर धर्मान्तरण और अपनी संस्कृति को नष्ट करने के विरुद्ध जब आदिवासी बंधु खड़े हुए हैं, तभी ऐसे कानून क्यों लगाये गए?
रायपुर में भी मिशनरियों के लिए पक्षपात का मामला सामने आया था क्या रासुका भी ऐसे ही पक्षपात के लिए लाया गया है?
भाजपा की यह स्पष्ट मांग है कि रासुका लगाने की पूरी परिस्थिति पर कांग्रेस सरकार श्वेत पत्र लाये, साथ ही इसका भी जवाब दे कि उसने इस फैसले को छिपाए क्यों रखा? साथ ही तत्काल प्रभाव से इस नव आपातकाल को खत्म करे और प्रदेश में शान्ति-व्यवस्था को कायम रखे। लोकतंत्र की हत्या की कोशिश, इस नए आपातकाल के खिलाफ भी भाजपा के कार्यकर्तागण संघर्ष करने तैयार है।