CG के 4 हजार करोड़ नहीं देने पर केंद्र अड़ा, पढ़ें, संसद में कैसे दहाड़े राजीव शुक्ला

By : madhukar dubey, Last Updated : December 20, 2022 | 9:21 pm

छत्तीसगढ़। प्रदेश के राज्यसभा के सांसद (Rajiv Shukla) राजीव शुक्ला ने कोल लेवी के 4 हजार करोड़ के अब तक नहीं मिलने का सवाल पूछा। जिस पर उन्हें मंत्री ने जवाब दिया कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को लेवी की रकम नहीं लौटाई जाएगी।

बता दें, इसके पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कोल के लेवी की रकम के लिए कई बार पत्राचार चुके हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में कोल ब्लॉक की लेवी पर सवाल उठाया था। उन्होंने खान मंत्रालय से कोल ब्लॉक्स से एकत्र की गई अतिरिक्त टैक्स की जानकारी मांगी थी और पूछा था कि राज्यों को कब तक उनके हिस्से की राशि दी जानी की योजना है।

राजीव शुक्ला का सवाल था कि छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से के चार हजार करोड़ रुपए की राशि कब दी जाएगी। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, कोयला ब्लॉकों से अतिरिक्त लेवी के रूप में कुल ६ हजार ९६७ करोड़ ३० लाख रुपए एकत्र किए गए हैं। जिसमें से करीब ६० फीसदी यानी ४ हजार २४ करोड़ ३८ लाख रुपए की राशि सिर्फ छत्तीसगढ़ के ६ कोल ब्लॉक से अर्जित की गई है। केन्द्र सरकार ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से राय लेने के बाद ये तय किया है कि राज्यों को ये राशि नहीं दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया,छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इसके लिए एक याचिका भी दायर की है।

क्या है यह अतिरिक्त कोल लेवी

उच्चतम न्यायालय के कोल ब्लॉक आवंटन पर दिए फैसले में खनिज पर राज्य सरकार के स्वामित्व होने की बात कही थी। खनिज अधिनियम – २०१५ और खनिज नियमावली-२०१६ में राज्य को कोयला खनन में एडिशनल लेवी मिलने का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ के आठ कोल ब्लॉक २९४ रुपए प्रति टन की दर से यह अतिरिक्त लेवी केंद्र सरकार को जमा करा चुके हैं।

लगातार जारी है पत्राचार

वित्तीय संकट से दो-चार राज्य सरकार इस रकम को निकालने की कोशिश में है। इसके लिए २०१९ से ही लगातार पत्राचार जारी है। २०२० में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय खान मंत्री को पत्र लिखकर यह रकम वापस मांगी थी। केंद्रीय खान मंत्री के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा। नीति आयोग की बैठक में भी मुख्यमंत्री अपनी यह मांग उठा चुके हैं। थक हारकर सरकार इस रकम की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय भी पहुंची है।