CG Mega Story : 6 हजार करोड़ की कमाई कर लियो मियां !.. CBI की ‘फुंफकार’ से जल उठी ‘इनकी’ लंका !….
By : hashtagu, Last Updated : March 28, 2025 | 9:56 pm

रायपुर। (CBI in Mahadev Satta App case) कहते हैं कि बुरे काम का बुरा नतीजा, क्या करें भाई अगर किसी को धनपशु बनने की लत गई तो वह न रूकेगा और न थमेगा। चाहे वह नेता और मंत्री या अफसर। यहां छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टा महादेव एप का इजाद एक जूस वाले ने शुरू किया और दुबई शिफ्ट हो गया। उसके तार छत्तीसगढ़ से जुड़ा था, फिर क्या इनके साथ पार्टनर और इसे संरक्षित करने में आईपीएस अधिकारी और कहा जाता है कि भूपेश के सीएम हाउस के कुछ सलाहकार सहित इनके कई करीबी भी महादेव एप की कमाई में शार्गिद हो गए। अब सत्ता से जाने के बाद उनकी कुंडली ऐसी खुली कि जनता यह फिल्म देखकर हैरान है, और कह रही है कि मियां इनको तो सांप सूंघ गया है, और सीबीआई की जांच रूपी फुंफकार से इनकी लंका में आग लग गई है।
बता दें, महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई ने जिन लोगों के यहां छापे की कार्रवाई की है, उन लोगों को साफ तौर पर निर्देशित किया है कि वे पूछताछ के लिए जरूरत पड़ने पर सीबीआई कार्यालय उपस्थित हों। साथ ही उन्हें बगैर जानकारी दिए अपने क्षेत्र से बाहर नहीं जाने निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई के अफसरों ने छापे की कार्रवाई के दौरान चारों आईपीएस अफसरों से कार्रवाई के दौरान उनके घरों में प्रारंभिक पूछताछ की है। प्रारंभिक पूछताछ के आधार पर सीबीआई के पूछताछ के आधार पर सीबीआई के अफसर आईपीएस अफसरों (IPS officers) को अलग-अलग तिथियों में पूछताछ के लिए सीबीआई कार्यालय तलब करेंगे।
- सीबीआई ने भाजपा के पेशे से अधिवक्ता नरेश गुप्ता की शिकायत के साथ ही ईओडब्लू द्वारा कोर्ट में पेश चालान की कॉपी का अध्ययन करने के बाद ही छापे की कार्रवाई की है। छापे में बाद ही छापे की कार्रवाई की है। छापे में सीबीआई ने ईओडब्लू द्वारा कोर्ट में पेश कुछ पार्ट को ही शामिल किया है, इस लिहाज से सीबीआई के अफसर जेल में बंद महादेव सट्टा एप के आरोपियों की आने वाले दिनों में रिमांड हासिल कर अलग से पूछताछ कर सकते हैं।
मूल ग्राम तक पहुंचेगी टीम
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, जिन अफसरों के ठिकानों में बुधवार को छापे की कार्रवाई की गई, उनकी पोस्टिंग भले ही छत्तीसगढ़ में है, लेकिन वे मूल निवासी किसी दूसरे राज्य के हैं। ऐसे में सीबीआई की टीम संबंधितों के मूल ग्राम जाकर उनकी संपत्तियों की जांच करेगी। साथ ही सट्टा एप से जुड़े लिंक के बारे में जानकारी जुटाएगी। इसके साथ ही भोपाल, दिल्ली, कोलकाता में की गई छापे की कार्रवाई को सीबीआई के अफसर एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। साथ ही पांच साल पूर्व की चल-अचल संपत्तियों की जांच करेंगे।
कैसे पहुंचता था कमीशन, ईडी की जांच रिपोर्ट से समझें
महादेव सट्टा एप की कमीशन रकम संबंधितों तक कैसे पहुंचती थी, ईडी की जांच रिपोर्ट में उसका उल्लेख कुछ इस तरह से है।
■सौम्या चौरसिया – राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर मनीष उपाध्याय
■ डॉ. सूरज कुमार कश्यप मुख्यमंत्री के तत्कालीन ओएसडी – प्रशांत त्रिपाठी, राहुल उप्पल, रोहित उप्पल
■ अभिषेक माहेश्वरी एएसपी (इंटेलिजेंस) रायपुर कांस्टेबल संदीप दीक्षित, राहुल
■उप्पल, रोहित उप्पल, प्रशांत त्रिपाठी
■संजय ध्रुव – एएसपी दुर्ग- कांस्टेबल भीम यादव
■अभिषेक पल्लव – एसपी दुर्ग कांस्टेबल भीम यादव
■प्रशांत अग्रवाल – एसएसपी रायपुर – एस. साहू
■आरिफ शेख – आईजी रायपुर अभिषेक माहेश्वरी
■विजय भाटिया – कारोबारी रोहित उप्पल, राहुल उप्पल
इन प्रमुख 16 लोगों ने बनाया दुबई को ठिकाना
ईओडब्लू ने कोर्ट में जो चालान पेश किया है, उसके मुताबिक महादेव सट्टा के प्रमोटर्स सहित सट्टा एप के प्रमुख आधार 16 लोगों ने दुबई में अपना ठिकाना बना लिया है। इनमें प्रमोटर्स सौरभ चंद्राकर के साथ ही पिंटू उर्फ शुभन सोनी, रवि उप्पल के साथ हेड ऑफिस की जिम्मेदारी संभाल रहे भिलाई निवासी रोहित टिर्की, गुजरात निवासी राघव गौतम के साथ ही शुभम के भाई गौरव सोनी, हरिश पेद्दी, हेमंत बारा, अभिषेक सिंह का नाम शामिल है। इसके अलावा एकाउंट की जिम्मेदारी संभाल रहे रायपुर निवासी चंद्र कुमार रूपवानी, महाराष्ट्र का रहने वाला अमित तथा उसका भाई अंकित शाह, दिल्ली निवासी रोहित गुलाटी, भिलाई निवासी सौरभ आहूजा तथा भोपाल निवासी विशाल तथा उसका भाई धीरज आहूजा। सीबीआई इनसे जुड़े लोगों की जांच कर सकती है।
केस में प्रोटेक्शन मनी लेने और देने वालों के करीब 60 ठिकानों (60 bases)पर एक साथ रेड की। इसमें सौम्या चौरसिया, सूरज कश्यप, आरिफ शेख, अभिषेक पल्लव, आनंद छाबड़ा, प्रशांत अग्रवाल और विजय भाटिया समेत 17 लोगों के नाम शामिल हैं। चार्जशीट के मुताबिक अफसरों तक उनके जूनियर पैसा पहुंचाते थे। वहीं इस सिंडिकेट में शामिल 31 संदेहियों को जांच के दायरे में अबतक नहीं लिया गया है। सूत्रों का कहना है, कि आने वाले दिनों में छूटे संदेहियों के खिलाफ भी एक्शन होगा।
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी की टीम ने 7 महीने की चार्जशीट की पड़ताल की, इसके बाद एक साथ छत्तीसगढ़, दिल्ली, और पश्चिम बंगाल में छापा मारा। की चार्जशीट के मुताबिक प्रमोटर्स ने 6 हजार करोड़ रुपए कमाए हैं। महादेव सट्टा ऐप सिंडिकेट में कौन-कौन शामिल था, अब तक सिंडिकेट के किन सदस्यों के घर टीम जांच करने नहीं पहुंची है, पढि़ए इस रिपोर्ट में ?…
अब जानिए रेड की कहानी
दरअसल, 19 अप्रैल 2024 को महादेव सट्टा ऐप की कार्रवाई का कोर्ट में चालान पेश किया था। जांच में पता चला कि सिंडिकेट के सदस्य हर महीने 450 करोड़ कमाते थे। सिंडिकेट के सदस्यों की यह कमाई लॉकडाउन के बाद की थी।
सिंडिकेट में 4 हजार से ज्यादा लोग जुड़े थे। देशभर में इसकी 400 से ज्यादा ब्रांच संचालित हो रही हैं। इसके बाद 26 अगस्त 2024 को छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने महादेव ऐप केस की जांच सौंप दी थी। इस केस की जांच शुरू की। जांच और चालान को केस का आधार बनाया। अफसरों ने 7 महीने तक जांच की। इसके बाद 17 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ दबिश दी। 26 मार्च की सुबह से रेड देर रात तक चलती रही।
सर्राफा कारोबारी की मदद से पहुंची प्रोटेक्शन मनी
वहीं जांच के मुताबिक महादेव बुक के प्रमोटर्स ने राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस अधिकारियों तक प्रोटेक्शन मनी (कार्रवाई से बचने के लिए पैसा) पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ के सर्राफा कारोबारी की मदद ली।
इसमें पता चला है कि आभूषण ज्वैलर्स के मालिक सुनील कुमार दम्मानी को हवाला के जरिए प्रोटेक्शन मनी पहुंचती थी। इसे वह चंद्रभूषण वर्मा, राहुल वक्टे के माध्यम से कलेक्ट करता था। इस काम में रितेश कुमार यादव और किशन लाल वर्मा भी मदद करते थे। सिंडिकेट में शामिल 30 संदेहियों को जांच के दायरे में अबतक नहीं लिया गया है।
अब जानिए महादेव बुक में किस तरह खिलाते थे ऑनलाइन सट्टा
महादेव बुक के प्रमोटर ऑनलाइन सटटा खिलाने का काम पैनल ऑपरेटर के जरिए करते हैं। फ्रेंचाइजी मॉडल के आधार पर पैनल/ब्रांच देकर पैनल ऑपरेटर बनाए गए हैं। हर पैनल ऑपरेटर को एक मास्टर आईडी दी जाती है। इसके बाद शुरू होता था ऑनलाइन सट्टे का प्रोसेस।
जब किसी को पैनल/ब्रांच ऑपरेटर बनना होता है, तो वो किसी रेफरेंस से महादेव बुके के हेड ऑफिस मैनेजमेंट के वॉट्सऐप नंबर पर रिक्वेस्ट मैसेज करता है।
मैनेजमेंट का रिप्लाई आने पर ऑपरेटर पैनल चाहने वाला शख्स वॉट्सऐप मैसेज अथवा कॉल के माध्यम से संपर्क करता है। पैनल /ब्रांच ऑपरेटर बनाने के नाम पर मैनेजमेंट की ओर से 25-30 लाख रुपए जमा करवाया जाता है। पैसा जमा होने और उसकी डिटेल मिलने के बाद मैनेजमेंट संबंधित व्यक्ति को लॉगिन एवं वेबसाइट आईडी व पासवर्ड देता है।
वॉट्सएप ग्रुप से दी जाती है तकनीकी जानकारी
पैनल और हेड ऑफिस का संयुक्त वॉट्सऐप ग्रुप बनाया जाता है। इस वॉट्सऐप ग्रुप में पैनल ऑपरेटर, पैनल ऑपरेटर के अधीन काम करने वाले एजेंट, अकाउंट ग्रुप के सदस्य, चेकर्स एवं हेड ऑफिस से जुड़े सदस्य रहते है।ग्रुप में हेड ऑफिस से जुड़े सदस्य पैनल ऑपरेटर को साप्ताहिक सेटलमेंट और तकनीकी जानकारी देते है।
पैनल ऑपरेटर के पास होती है मास्टर आईडी
इस आईडी से ऑपरेटर अपने कस्टमर के लिए खुद आईडी बनाता है या अपने कर्मचारियों से बनवाता है। सेटलमेंट की राशि अकाउंट में दी जाती है। एक अकाउंट ग्रुप में 300-500 पैनल ऑपरेटर जुड़े रहते हैं। पैनल ऑपरेटर अपने होने वाले लाभ का 30 प्रतिशत रखकर शेष पैसा संबंधित अकाउंट ग्रुप को देता है।
इस केस में क्या कहा और किया ?
ईडी करीब 16 महीने से महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दौरान आरोप लगाया था कि सिंडिकेट को संरक्षण देने के वालों में उच्च पदस्थ राजनेता और नौकरशाह शामिल हैं।इस मामले में करीब 6,000 करोड़ रुपए की आय का अनुमान था।
शेयर बाजार में निवेश किया पैसा
महादेव एप केस में भी जांच कर रही है। चार्जशीट में खुलासा हुआ कि महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और शुभम सोनी ने सट्टेबाजी की काली कमाई को सफेद करने शेयर मार्केट में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। इसी की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कर रही है।
प्रमोटरों ने फर्जी शैल कंपनियां बनाई
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए प्रमोटरों ने फर्जी शैल कंपनियां बनाई। इसमें ज्यादातर कंपनियां विदेशी दिखाई गई, ताकि किसी को शक न हो। हवाला कारोबारी गिरीश तलरेजा और सुरेश चोखानी के गिरफ्तारी के 60 दिन बाद पिछले हफ्ते ही 252 पन्नों का पूरक परिवाद और 2200 पेज के दस्तावेज पेश किए थे।
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