बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की बेटी ने अपनी मेहनत और नेक इरादों की बदौलत सांप पकड़ने में विश्व रिकार्ड बना डाला। कहते है। कि अगर मंजिल का रास्ता तय हो तो कुछ भी हासिल करना नामुमकिन नहीं है। बिलासपुर की अजीता पांडेय (Ajita Pandey) , जो पेशे से नर्सिंग प्रोफेशनल हैं, अपने निडरता और अनोखे साहसी काम के लिए ‘स्नेक गर्ल’ (Snake girl) के नाम से मशहूर हैं. उन्होंने जून 2017 से अब तक 7 सालों में 7,000 से ज्यादा सांपों को बचाकर सुरक्षित जंगल में छोड़ा है। उनका यह काम सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि जानवरों और पर्यावरण के प्रति उनके प्यार का सबूत है।
अजीता के इस खास काम के लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. उन्होंने दिखाया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता. उनका सफर दूसरों के लिए प्रेरणा है।
अजीता का बचपन एक पशु-प्रेमी परिवार में बीता. उनके घर में कुत्ते, गाय और बछड़ों समेत 18-20 जानवर थे. इसी माहौल ने उन्हें जानवरों से प्यार करना सिखाया और आज भी उनके घर पर गाय, कुत्ते और अन्य जानवरों के लिए एक अलग ठिकाना है जहां वे उन पशुओं का देखभाल करती है. 18 साल की उम्र में उन्होंने सांपों को बचाने का काम शुरू किया. सपेरों से बातचीत और किताबों व इंटरनेट के जरिए उन्होंने सीखा कि सांप पर्यावरण के लिए कितने जरूरी हैं. ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते और इंसानों के लिए खतरा भी नहीं हैं। और उन्हें पहचान पर्यावरण संतुलन के लिए कितना जरूरी है।
कोविड-19 महामारी के दौरान, जब लोग खुद को बचाने में लगे थे, अजीता ने सांपों को बचाने का अपना काम जारी रखा. 2019 से 2021 तक उन्होंने 984 सांपों को रेस्क्यू किया और इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ.
शुरुआत में अजीता को समाज की आलोचना का भी सामना करना पड़ा. कई लोगों ने कहा, \”एक लड़की सांप कैसे पकड़ सकती है? ये जरूर काला जादू करती होगी.\” रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन पर ताने मारे और उनके काम को लेकर सवाल उठाए. लेकिन अजीता ने इन बातों की परवाह नहीं की और अपने काम में लगी रहीं. धीरे-धीरे उनके काम की तारीफ होने लगी और आज वही लोग उनकी हिम्मत को सलाम करते हैं.
अजीता के सांपों को रेस्क्यू करने के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं. लोग उनके निडर अंदाज और शांत स्वभाव की तारीफ करते हैं. उनके वीडियो में दिखता है कि वे जहरीले सांपों को भी बड़े आराम से खिलौनों की तरह पकड़ती हैं और उन्हें अपने बच्चों की तरह ट्रीट करते हुए दिखाई देती हैं. सोशल मीडिया के जरिए लोग उन्हें ‘स्नेक गर्ल’ या स्नेक रेस्क्यूवर के नाम से जानते हैं.
अजीता पांडे का मानना है कि आज भी समाज में यह धारणा है कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं, जिसे बदलने की जरूरत है. अजीता बताती हैं कि जब वह सांप पकड़ने जाती हैं, तो लोग चौंक जाते हैं और कहने लगते हैं, ‘ये लड़की सांप पकड़ेगी क्या?’ छत्तीसगढ़ी में लोग कहते हैं कि ‘ईही नोनी सांप पकड़ही का’.
लेकिन अजीता का जवाब साफ है, लड़कियां हर काम कर सकती हैं, चाहे वह सांप पकड़ना हो या कोई और चुनौतीपूर्ण काम. उनका कहना है कि इस पुरानी सोच को बदलने का समय आ गया है. अजीता का साहस और उनके काम ने यह साबित कर दिया है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं और हर चुनौती को पार कर सकती हैं.
अजीता की कहानी यह सिखाती है कि जुनून और हिम्मत के साथ कोई भी काम किया जा सकता है. उन्होंने समाज के तानों की परवाह किए बिना हजारों सांपों को बचाया और पर्यावरण की रक्षा की. उनका यह सफर हर किसी के लिए एक प्रेरणा है।
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