छत्तीसगढ़। अब बाल कैदी (child inmate) ‘समझदारी’ की उम्र 21 साल के हाेने पर बाहर निकल सकेंगे। ताकि उनमें गलत और सही के फर्क की समझादारी आ सके। इसके लिए भूपेश सरकार (Bhupesh Sarkar) ने राज्य में संचालित आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के लिए बड़ा फैसला लिया है। ताकि उनके बाहर निकलने पर पुनर्वास और पुनर्स्थापना की व्यवस्था किया जा सके। ऐसे में बाल कैदियों की बाहर निकलने की उम्र मौजूदा 18 से बढ़ाकर 21 साल कर दी गई है।
इस योजना की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में राज्य विधानसभा में पेश वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में की थी। योजना के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
राज्य सरकार के एक नोट में कहा गया है कि पहले 18 साल की उम्र में आश्रयों से बाहर निकलने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में, खासकर रोजगार और घर पाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कुछ मामलों में इसने युवाओं को आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने बच्चों के लिए यह संवेदनशील कदम उठाया है।
सरकारी नोट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिया के नेतृत्व में विभाग वर्तमान में आश्रय गृहों से बाहर निकलने वाले युवाओं के पुनर्वास और पुनर्वास के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार कर रहा है।
यह योजना इन युवाओं के लिए उच्च शिक्षा, रोजगार, आवास और अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। सीएम बघेल ने कहा है कि युवाओं के व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाए। ताकि वे स्वरोजगार से जुड़ सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। सीएम ने ऐसे युवाओं के लिए सामुदायिक समूह आवास के प्रावधान का भी निर्देश दिया है।