कांग्रेस बोली, मोदी सरकार की अर्थनीति चंद ‘पूंजीपतियों’ के मुनाफे पर केंद्रित!
By : madhukar dubey, Last Updated : June 17, 2023 | 8:02 pm
आलू का थोक मूल्य सूचकांक -18.2 प्रतिशत, आयल सीड -15.6 प्रतिशत और वनस्पति घी – 29.5 प्रतिशत है लेकिन इन्हीं सामग्रियों का खुदरा मूल्य सूचकांक 3.29 प्रतिशत है। अर्थात उत्पादक किसानों पर एक तरह से कृत्रिम राष्ट्रीय आपदा मोदी सरकार के संरक्षण में लाई गई है। किसानों से खरीदी में लगभग एक तिहाई तक दाम में कटौती कर दी गई है, लेकिन खुदरा विक्रय की दरें लगभग 4.25 प्रतिशत अधिक है। अर्थात् कुल अंतर लगभग 35 प्रतिशत तक का है। मोदी सरकार की नीतियां किसानों को लूटने, आम उपभोक्ताओं से खींचने और पूंजीपतियों को सिंचने की है।
थोक और खुदरा महंगाई दरों में बढ़ती चौड़ी-गहरी खाई, मोदी के पूंजीवादी नीतियों का प्रमाण है
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि झांसे और जुमलों की मोदी सरकार विगत 9 वर्ष से केवल भ्रम फैला कर देश की जनता को धोखा देने का काम कर रही है। वर्ष 2022 में देश के 7.2 प्रतिशत जीडीपी विकास दर का पूरा सच यह है कि वर्ष 2018-19 में रियल जीडीपी 140 लाख़ करोड थी जो 2022-23 में 20 लाख़ करोड़ बढ़कर 160 लाख़ करोड हुआ है। अर्थात विगत 4 साल में औसत विकास दर मात्र 3.4 प्रतिशत रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर मात्र 1.8 प्रतिशत रही जो विगत 25 सालों में दूसरी सबसे कम विकास दर है। मोदी राज़ में “ग्लोबल हंगर इंडेक्स“ में शर्मनाक स्थिति है, 121 देशों में 107वें स्थान पर आ गए हैं। एक तरफ देश के भीतर वार्षिक कर संग्रहण 3 गुना बढ़ा है वहीं दूसरी ओर मोदी राज में देश पर कुल कर्ज का भार भी बढ़कर 3 गुना हो गया अर्थात जो संसाधन और जो प्राप्तियां हैं वह न देश के काम आ रही ना देशवासियों के केवल पूंजीपति मित्रों कितनी छोरियां भरने का काम कर रही है मोदी सरकार। विगत 9 वर्षों में 20 से ज्यादा सार्वजनिक उपक्रम ओने पौने दाम पर बेचे गए। रेल्वे स्टेशन, बैंक, बीमा, एयरपोर्ट, बंदरगाह, नवरत्न कंपनियां बेच कर भी देश पर कर्ज का भार लगातार बढ़ रहा है। कालाधन वापस लाने की बात की थी हुआ उल्टा। बैंक फ्राड और आम जनता का बैंको में जमा धन लेकर भागने की घटनायें मोदी सरकार के संरक्षण में लगातार बढ़ रही है। 15 लाख करोड़ से अधिक का चंद पूंजीपति मित्रों का लोन राइट ऑफ किया गया। लेकिन न किसानों को एमएसपी की गारंटी न स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू कर पाए न युवाओं को रोजगार।
इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)
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