फसलों का ‘समर्थन मूल्य’ तय करने में उपयोगी होंगे आंकड़े, पढ़ें, कैसे होगा संभव
By : madhukar dubey, Last Updated : January 23, 2023 | 10:27 pm
विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार के अतिरिक्त आर्थिक सलाहकार विनोद तलाशी उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. चंदेल ने कहा कि इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की खरीफ एवं रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख 10 फसलों की उत्पादन लागत निर्धारित करने हेतु तहसील स्तर पर आंकड़े एकत्र कर उन फसलों की उत्पादन लागत का अध्ययन किया जाएगा। इन आंकड़ों के आधार पर भारत सरकार फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित करती है। विनोद तलाशी ने आंकड़ों की शुद्धता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर बल दिया। भारत सरकार में सलाहाकर हनी सी.एच. ने आधार वक्तव्य दिया।
उल्लीखनीय है कि भारत सरकार ने प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण के लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग का सहायता करने के उद्ेश्य से प्रमुख राज्यों में 1970-71 से ‘‘भारत के प्रमुख फसलों की खेती की लागत’’ पर एक व्यापक परियोजना संचालित की जा रही है। परियोजना का मुख्य उद्ेश्य लागत लेखांकन पद्धति पर भौतिक और मौद्रिक शर्तां में लागत व उत्पादन पर प्रतिनिधि आकड़े एकत्र करना तथा अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को प्रस्तुत करना है।
इस आंकड़े का उपयोग कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा विभिन्न फसलों के उत्पादन लागत का अनुमान लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में किया जाता है। वर्तमान में यह परियोजना 19 राज्यों में 25 फसलों के समर्थन मूल्य हेतु संचालित की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य में यह परियोजना इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में वित्तीय वर्ष 2022-23 से शुरू हो गई है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य में 14 जिलों के 15 तहसीलों में 15 केन्द्रों (नमूना गांवों) में यह परियोजना संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत 150 किसानों से आंकड़े एकत्रित किये जा रहे हैं। इस परियोजना के संचालन हेतु भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 1.5 करोड़ रूपये की राशि प्रदान की जाएगी।
इस परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2022-23 में प्रमुख 10 फसलों (खरीफ में धान, उड़द, मूंग, सायोबीन, कोदो-कुटकी, रामतिल एवं मूंगफली तथा रबी में गेहूँ, चना, मसूर व सरसों) के आंकड़े एकत्र किये जायेंगे। वर्ष 2023-26 अवधि में छत्तीसगढ़ राज्य के 10 प्रमुख फसलां (खरीफ में धान, उड़द, मूंग, सोयाबीन, मक्का, अरहर, कोदो-कुटकी, रामतिल व गन्ना तथा रबी में गेहूँ और चना) तथा सभी जिलों को शामिल किये जाने की अनुशंसा की गई है, जिससे राज्य के किसानों को लाभ प्राप्त होगा। इस परियोजना के अध्यक्ष इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल हैं तथा सदस्यों के रूप में संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक त्रिपाठी, परियोजना के मानक निदेशक डॉ. अजय गौरहा, तथा डॉ. प्रवीण कुमार वर्मा नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।