छत्तीसगढ़। (Chhattisgarh Legislative Assembly) विधानसभा में बजट की अधिसूचना जारी होते ही सियासी पारा चढ़ गया है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 1 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा। बजट सत्र (budget session) की अधिसूचना जारी होते ही सत्र के समय को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। शुरू से ही सत्र के समय को छोटा बताने वाली भाजपा ने एक बार फिर सत्ता पक्ष पर बजट सत्र छोटा रखने का आरोप लगाया है।
अब छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र को लेकर एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। भाजपा बजट सत्र के समय को एक बार फिर छोटा करार दे रही है। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी बजट सत्र को छोटा बताते हुए कहा, राज्य की सरकार अपनी आलोचनाओं और मुद्दों से डरती है।15 साल हमारे शासनकाल में 22 से 30 बैठक होती थी। राज्य सरकार में इतना दम नहीं है कि सदन में चर्चा हो इसलिए वे अब बजट को भी बिना चर्चा के पास करवाना चाहते हैं।
भाजपा के आरोप के बाद सत्ता पक्ष के तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के आरोप का जवाब देते हुए उल्टा भाजपा पर ही तंज कसते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी जब से विपक्ष में आई है वह सदन में चर्चा ही नहीं करना चाहती। पार्टी ने सदन की कार्यवाही को बाधित करने और उसमें अड़ंगा डालने का प्रयास किया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर भारतीय जनता पार्टी में क्षमता है तो जितने दिन सदन की कार्यवाही का समय है उसका वे सदुपयोग करें।
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस को बजट सत्र पर घेरा उन्होंने कहा, बिना चर्चा कराए ही बजट पास करवाना चाहती है। बोले, जानबूझकर छोटा बजट रखा गया है। कुल मिलाकर इस बार छत्तीसगढ़ के बजट सत्र का समय तय होने के बाद पार्टियों के बीच सदन के समय को लेकर घमासान मच गया है।
सत्र की शुरुआत हुई नहीं लेकिन पार्टियों के बीच सियासी बयानबाजियों की शुरुआत जरूर हो गई है। भाजपा सत्र के समय को छोटा बता रही है। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि यह समय भी भाजपा के लिए ज्यादा है क्योंकि उनके पास कोई मुद्दा शेष नहीं बचा है। बहरहाल देखने वाली बात होगी कि सत्र को छोटा बनाने वाली भाजपा किस तरह से इस समय का सदुपयोग करती है।