छत्तीसगढ़। विधानसभा में 19 बाघों पर 3 साल में 183.77 करोड़ (183.77 crores in 3 years on 19 tigers) खर्च रुपए खर्च होने की जानकारी सामने आने के बाद सियासी बवाल मचा हुआ। इस मुद्दे पर भूपेश सरकार के ही कांग्रेसी विधायक अरूण वोरा ने सवाल खड़े किए थे। इसके बाद इतनी राशि के खर्च होने की जानकारी पब्लिक डोमेन में बीजेपी मांगने लगी है। वहीं दूसरी ओर धीरे-धीरे अब यह मुद्दा वन्य जीव संरक्षण के कार्यकर्ता भी उठाने लगे हैं।
वैसे बीजेपी इसमें अब सांकेतिक रुप भ्रष्टाचार मानने लगी है। इसे लेकर विपक्ष सरकार को घेरने में जुटी है। लेकिन अभी तक इस प्रकरण में कोई खास तर्क सरकार ने नहीं दिए हैं। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर (former minister ajay chandrakar) ने इस पर कांग्रेस को घेरा।
पिछली सरकार में वन वन मंत्री रहे महेश गागड़ा भी इतनी बड़ी रकम के खर्च होने पर हैरानी जता रहे हैं और इसे भ्रष्टाचार बता रहे हैं। हाल ही में विधानसभा में सरकार की ओर से मंत्री शिवडहरिया ने जवाब दिया था कि प्रदेश में 19 बाघ हैं। इन बाघों पर 3 साल में 183 करोड़ से ज्यादा खर्च हुआ है। इस पर अजय चंद्राकर ने ट्वीट करते हुए लिखा- छत्तीसगढ़ में 19 बाघों पर 3 वर्ष में 183 करोड़ रुपये खर्च हुये है…लेकिन कांग्रेस सरकार में भ्रष्ट्राचार होता ही नहीं…ये खर्च भी “ईडी” और “आईटी ” के इशारे पर हुये होंगे । कांग्रेस शासन में जनता के पैसे का अनियमित खर्च भ्रष्टाचार नही माना जाता।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि प्रदेश सरकार ने पिछले 2019 से 2022 (तीन वर्षों) में राज्य भर के कुल 19 बाघों पर 183.77 करोड़ खर्च कर दिए। गागड़ा ने कहा खर्च की गई इतनी बड़ी रकम के बारे में प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे। गागड़ा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 4 साल में जंगली हाथियों के हमले में 204 लोगों की मौत हुई। इसी तरह 45 हाथी भी सुरक्षा की बदइंतजामी के चलते मारे गए।
छत्तीसगढ़ (कांग्रेस शोषित) में 19 बाघों पर 3 वर्ष में 183 करोड़ रुपये खर्च हुये है…लेकिन #कांग्रेस_सरकार में भ्रष्ट्राचार होता ही नहीं…ये खर्च भी "ईडी" और "आईटी " के इशारे पर हुये होंगे…कांग्रेस शासन में जनता के पैसे का अनियमित खर्च भ्रष्ट्राचार नही माना जाता।#ईडी #आईटी pic.twitter.com/bezijngvgH
— Ajay Chandrakar (@Chandrakar_Ajay) March 18, 2023
विधायक अरुण वोरा ने बाघों पर खर्च का सवाल किया, वोरा को जवाब देते हुए मंत्री शिव डहरिया ने सदन में कहा- प्रदेश में कुल 3 टाइगर रिजर्व हैं, सीतानदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार। तीनों का कुल क्षेत्रफल 5555.627 वर्ग किलोमीटर है । पिछले 3 वर्षों में साल 2019-20, 20-21 और 21-22 में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए 183.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं ।
अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 के अनुसार यहां कुल बाघों की संख्या 19थी, वर्ष 2020 में दिसंबर 2022 तक 2 बाघों की मौत हुई है। पिछले साल वन्य प्राणी संरक्षण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी की ही एक याचिका में खुलासा हुआ कि प्रदेश में बाघों की संख्या घटी है। बीते साल इनकी एक याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट में ये बात सामने आई कि पिछले 5 साल में बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 हो गई है।
वन्य संरक्षण के काम करने वाले नितिन सिंघवी ने ?बताया कि रिजर्व के टाइगर्स पर खाने पर खर्च नहीं होता। विभाग के लोग पेट्रोलिंग करते हैं वो एक खर्च है। रिजर्व क्षेत्र में कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन का काम भी नहीं हो सकता, वो तो जंगल है बाघ को तो वहां नेचुरल माहौल में रखना होता है।कोई ऐसी अंतराष्ट्रीय रिसर्च भी प्रदेश में बाघों पर नहीं चल रही तो 183.77 करोड़ 3 साल में 19 बाघों के पीछे खर्चना समझ से परे है। सरकार को और साफ तरीके से बताना चाहिए कि इतनी बड़ी राशि का हुआ क्या ?
वरिष्ठ पत्रकार और वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में अभियान चलाने वाले प्राण चड्ढा ने सोशल मीडिया के जरिए आंकड़ों पर ही सवाल उठाए। 19 टाइगर हैं यह फिगर फर्जी फिगर हो सकता है। क्या इस जंगल में इतने टाइगर की खुराक की जरूरत के लिए पर्याप्त चीतल साम्भर हैं।
अथवा इस टाइगर रिजर्व की 19 गांव के मवेशी उनकी भूख पर शिकार बनेंगे। छत्तीसगढ़ में पिछले 3 वर्षों में बाघों के संरक्षण में रुपए 183 करोड़ खर्च किए गए मतलब प्रतिवर्ष रुपए 60 करोड़, क्या वन विभाग पब्लिक डोमेन में बताएगा कि किस-किस मद में यह 183 करोड़ रुपए खर्च किया गया?।