Political Story : ‘रमन सिंह’ TOP पर तो दूसरे ‘नंबर’ पर अरुण साव! एक CM दो डिप्टी सीएम के आसार 

By : madhukar dubey, Last Updated : December 8, 2023 | 4:00 pm

रायपुर। मोदी की गारंटी और स्थानीय स्मीकरण के प्रभाव से बीजेपी ने अप्रत्याशित 3 राज्यों में सीटें हासिल की। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पूर्ण बहुमत मिला है। लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व हर एक स्मीकरण को ध्यान में रखकर सीएम तय करने में जुटी है। ताकि लोकसभा के साथ ही जनता के बीच में लोकप्रिय सीएम तय हो सके। क्योंकि BJP की असली अग्नि परीक्षा होगी कि मोदी की गारंटी और वादों को पूरा करने की है। इसके अलावा विकास और राष्ट्रीयता के रूप में अब मोदी के स्थापित ब्रांड को आगे लेकर चलना चुनौती हाेगी। ऐसे में हर एक स्मीकरण को साधने में बीजेपी जुटी है।

छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी सीएम को लेकर सतर्क है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति सीएम बने जो पार्टी के कार्यकर्ताओं का चहेता हो, जिसका दामन भी बेदाग हो। यही हाल मध्यप्रदेश और राजस्थान की है। बीजेपी खास तौर पर छत्तीसगढ़ में कोई भी चांस नहीं खोना चाहती है। लोकसभा को देखते हुए बीजेपी यूपी की तर्ज पर यहां भी एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फार्मूला छत्तीसगढ़ में अपना सकती है।

  • बहरहाल, ये अभी कायस ही लगाए जा रहे है। लेकिन इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत रमन सिंह और अरुण साव (Raman Singh and Arun Sao) ही है। ये दीगर है यहां दो डिप्टी सीएम भी बना सकती है। एक बस्तर और सरगुजा संभाग को साधे रहने के लिए बीजेपी डिप्टी सीएम का दांव चल सकती है।

आइए बात करते हैं कि सबसे पहले छत्तीसगढ़ की। जहां 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह के काम का फायदा भी बीजेपी को मिला। क्योंकि जनता में यह धारणा थी कि कांग्रेस के समय विकास की वह गति नहीं दिखी, जो रमनकाल में विकास का दौर लोगों ने देखा था। इसलिए यह भी एक फैक्टर है मोदी के गारंटी और रमनकाल के दौरान हुए कार्य का मिश्रण तो था, जिसे नाकार नहीं जा सकता है। भले ही बीजेपी नेता मोदी की गारंटी को वजह बता रहे है, वह सही भी है, लेकिन आम जन मोदी के साथ रमन के कार्यकाल को भी समर्थन मिलने का कारण बता रहे हैं। ऐसे में रमन सिंह भी मुख्यमंत्री होते हैं तो भी जनता उन्हें अपनाएगी। क्योंकि उनके स्वभाव और चेहरे पर किसी काे कोई आपत्ति नहीं होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि रमन सिंह मुख्यमंत्री की दौड़ में पहले स्थान पर हैं।

रेटिंग देने की बात हो तो अरुण साव दूसरे नंबर पर

इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का नाम भी सीएम की रेस में है। इसके अलावा और भी नाम चल रहे हैं। लेकिन इस सब में अगर रेटिंग देने की बात हो तो अरुण साव दूसरे नंबर पर हैं। क्योंकि अपने पूरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने जिस तरीके कांग्रेस को हर मुद्दे पर घेरने का काम किया वह, सियासी नजरिए से काबिले तारिफ है। अगर देखा जाए तो साजा में जिस ईश्चर साहू के बेटे की सांप्रदायिक दंगे में मौत हो गई थी, उन्हें बीजेपी से प्रत्याशी बनाने के लिए उन्होंने पहल किया। नतीजा जहां रविंद्र चौबे चुनाव हार गए। वहीं पूरे साहू समाज को अरुण साव ने बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण में अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं के अंदर जोश और जीतने के ज्जबे को भरा। पूरे छत्तीसगढ़ की एक-एक विधानसभा तक पहुंचे और कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाया कि कार्यकर्ताओं की अहमियत सरकार बनने पर कम नहीं होगी। उनके सुख और दर्द में पार्टी खड़ी रहेगी।

  • अरुण साव के दिशा-निर्देश पर कार्यकर्ताओं ने विश्वास भी किया और घर-घर मोदी की गारंटी को मजबूती के साथ बताया। उसके अलावा अरुण साव ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरते रहे। यही कारण भी है कि साहू समाज को ध्रुवीकरण करने के लिहाज से बीजेपी इनके नाम को लगभग तय कर चुकी है। सूत्र बताते हैं कि इसमें रमन सिंह और अरुण साव का नाम सीएम पद के लिए लगभग फाइनल है। पर्यवेक्षकों की तीन सदस्यीय टीम का नाम फाइनल हो चुका है। यह देखने की कोशिश करेगी। किसके नाम पर लोगों की सहमति है।

इनके नाम की भी चर्चा बीजेपी में और अन्य लोगों में

छत्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर कई नामों पर चर्चा है. छत्तीसगढ़ में जिन नामों की चर्चा खूब रही है, वो विष्णुदेव साय, गोमती साय, रेणुका सिंह, डॉक्टर रमन सिंह, ओपी चौधरी और अरुण साव हैं. अब बीजेपी आलाकमान ही तय करेगा कि इन सभी में से किसे सीएम की कुर्सी में बैठाना है।

राजस्थान

राजस्थान में भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बन रही है, लेकिन अभी मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लगी है. बस अटकलों का बाज़ार गर्म है. सभी की नज़रें दिल्ली पर टिकी हैं. ऐसे में कई नाम हैं, जो CM की कुर्सी की इस दौड़ में शामिल माने जाते हैं, लेकिन संशय इसलिए है, क्योंकि इस बार चुनाव में भाजपा ने वसुंधरा राजे या किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लड़ा। यही कारण है कि बाबा बालक नाथ, दीया कुमारी से लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई बड़े चेहरों को इस रेस में माना जा रहा है.

मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में सीएम पद के कई दावेदार हैं. शिवराज सिंह चौहान के बाद एमपी में कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद सिंह पटेल और वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा है. प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान ये लोग प्रमुख चेहरे थे. ऐसे में संभावित चेहरों में इनका नाम भी आगे हैं.

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