रायपुर दक्षिण उपचुनाव : भाजपा और कांग्रेस की सियासी ‘नाकेबंदी’ शुरू! मजबूत रणनीति पर फोकस…

कहते है कि किसी की हार में एक बहुत बड़ी सीख छिपी होती है। ये दीगर बात है कि कांग्रेस अपने संक्रमणकालीन दाैर से उभरने की कोशिश में जुटी है।

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  • Updated On - September 7, 2024 / 04:10 PM IST

रायपुर। कहते है कि किसी की हार में एक बहुत बड़ी सीख छिपी होती है। ये दीगर बात है कि कांग्रेस अपने संक्रमणकालीन दाैर से उभरने की कोशिश में जुटी है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि शायद दिसंबर तक विधानसभा सीट रायपुर दक्षिण में उपचुनाव (By-election in Raipur South assembly seat) हो। वैसे इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में रणनीतिक तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसमें सबसे ज्यादा चुनौती कांग्रेस के सामने ही है। क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल के इस गढ़ में सेंधमारी अगर कांग्रेस कर ले जाती है तो राजनीतिक रूप से कीर्तिमान ही बन जाएगा। लेकिन जो हालात वर्तमान में है, उससे यही लगता है कि कांग्रेस (BJP and Congress) के लिए इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए अथक मेहनत करनी होगी। लेकिन सवाल उठता है कि बृजमोहन की लोकप्रियता, भले ही वे सांसद हो गए हैं। पर जनता का विश्वास बृजमोहन पर ही है। ऐसे में यहां भाजपा चाहे किसी हो भी टिकट दे लेकिन जीत दिलाने में बृजमोहन अग्रवाल का अहम रोल होगा।

आइए एक नजर डालते हैं कि कांग्रेस की तैयारियों पर जो इस समय मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रही हैं। कांग्रेस की तैयारियों पर क्या रणनीति है, जो सिर्फ चर्चाओं और सूत्रों के मुताबिक ही हम अवगत करा रहे हैं।

  • भाजपा में भी इस सीट को लेकर संगठन में मंथन का दौर शुरू हो गया है। वैसे माना जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल की मंशा के अनुसार ही भाजपा किसी नेता को टिकट दे सकती है। वैसे संभावित दावेदारों की बात करें तो उसमें रायपुर के सांसद रहे सुनील सोनी, संजय श्रीवास्तव, केदारनाथ गुप्ता के नाम की फिलहाल चर्चा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि यहां भाजपा किसे टिकट देती है। वैसे अगर यह कहा जाय कि यहां भाजपा का मजबूत है, जिसे नाकारा नहीं जा सकता है। क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल ने यहां रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी। इस सीट की चुनावी ब्लूप्रिंट भाजपा तैयार कर चुकी है। लेकिन अभी कांग्रेस इसमें काफी पीछे दिख रही है।
  • बताया जा रहा है कि रायपुर दक्षिण उपचुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस ने वार्डों में बूथ कमेटियां बनाने की कवायद तेज कर दी है। सभी सीट प्रभारियों को जिम्मेदारी के साथ काम पूरा का समय निर्धारित कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस जल्द ही वार्डों की समीक्षा करने की तैयारी में है। दूसरी तरफ बूथ कमेटियों के गठन के बाद इसका भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा। कमेटी में शामिल एक-एक पदाधिकारियों से सीधी चर्चा की जाएगी। जिससे वास्तविक सदस्यों का पता चल सके।

कांग्रेस के अंदरखाने चर्चा है कि कुछ वार्डों में काम नहीं होने और कमजोर रिपोर्ट आने के बाद प्रभारियों को बदला जा रहा है। पीसीसी की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि वार्डों में केवल बैठक लेने से काम नहीं चलेगा। बल्कि वहां बूथों में जाकर कमेटी गठित कर सक्रिय कार्यकर्ताओं से मिलकर संवाद स्थापित करना होगा। कमेटियों के गठन के बाद इसका भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा।

इससे पहले भी हुई बैठकों में प्रभारियों से स्पष्ट कह दिया गया था कि, वार्ड में जाकर सिर्फ बैठक लेकर औपचारिकता पूरी करने वालों को हटा दिया जाएगा। उन्हें बूथों में जाकर समय देना होगा। दरअसल, रिपोर्ट में कुछ प्रभारियों द्वारा बैठकों की खानापूर्ति करने की शिकायतें मिली थी। कई बूथों में जिन कार्यकर्ताओं के नाम थे, वे सक्रिय नहीं थे। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि वार्डों के बूथों में पार्टी की गतिविधियां बढ़ाएं।

  • पुराने कार्यकर्ताओं को साधेंगे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता

प्रभारियों समेत जिला पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि, वे ज्यादातर समय दक्षिण के अपने क्षेत्रों में रहें। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से जाकर मिले। उनसे मार्गदर्शन लेकर कमेटियों का गठन करें। वहीं, पीसीसी को जमीनी फीडबैक समेत स्थानीय खामियों से अवगत कराएं। जिससे कार्यकर्ताओं से संवादहीनता की स्थिति न बने।

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