कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) (CWC) के सदस्यों के लिए कोई चुनाव नहीं होगा। इस फैसले से पार्टी के एक धड़े में नाराजगी के सुर उभरने लगे हैं।
इस फैसले के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शुक्रवार को ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, कांग्रेस कार्यसमिति का चुनाव नहीं होगा, इंट्रस्टिंग और गंभीर बात ये है कि ये फैसला उस कमेटी ने किया जो खुद नॉमिनेटिड है। जय कांग्रेस-विजय कांग्रेस।
कांग्रेस की संचालन समिति ने शुक्रवार को रायपर अधिवेशन में सर्वसम्मति से फैसला किया कि सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को मनोनित करने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे अधिकृत होंगे।
इस संबंध में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह जानकारी देते हुए कहा कि संचालन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला हुआ कि कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकार दिया जाए कि वह कार्य समिति के सदस्य नामित करें। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के संविधान में संशोधन ला रहे हैं, जिसके तहत कमजोर वर्गो, अनूसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए प्रतिनिधित्व सुरक्षित और सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किया जाएगा। कांग्रेस के संविधान में कार्य समिति का चुनाव कराने या फिर सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को नामित करने के लिए अध्यक्ष को अधिकृत करने का भी प्रावधान है।
चुनाव होने की स्थिति में सीडब्ल्यूसी के कुल 25 सदस्यों में से 12 सदस्यों का चुनाव होता है और 11 सदस्यों को पार्टी अध्यक्ष द्वारा ही मनोनित किया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस संसदीय दल का नेता सीडब्ल्यूसी का स्वत: सदस्य होता है।
गौरतलब है कि इस अधिवेशन में कांग्रेस ने अपने परंपरागत रास्ते पर ही चलने का फैसला किया है यानी कांग्रेस कार्यसमिति में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सदस्य मनोनीत करेंगे। हालांकि पार्टी वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा ये पहले से जानता था कि पार्टी की ओर से सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के लिए चुनाव न कराने का फैसला लिया जायेगा।
जहां तक कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव का सवाल है तो वह इससे पहले 1992 में तिरुपति और 1997 में कोलकाता में हुआ था। यानी कार्यसमिति का चुनाव 26 साल से नहीं हुआ है। हर बार कांग्रेस कार्यसमिति में सदस्यों का मनोनयन किया जाता रहा है। वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष हैं, इसलिए कार्यसमिति में किसे मनोनीत करना है, वही ये तय करेंगे। स्वाभाविक है कि ये फैसले वो गांधी परिवार से पूछ कर ही करेंगे। दरअसल इससे पार्टी में बगावत का डर और पार्टी टूटने का खतरा कम हो जायेगा।