आरक्षण विवाद का दंश, अजजा वर्ग के छात्रों को मेडिकल में गंवानी पड़ी 104 सीटें, जानें, वजह
By : madhukar dubey, Last Updated : December 31, 2022 | 2:33 pm
पीएससी के अंतिम परिणाम रुके हुए हैं। वहीं, मौजूदा सत्र में मेडिकल में एडमिशन लेने के इच्छुक अजजा वर्ग के छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2012 में प्रदेश में आरक्षण के दायरे में फेरबदल करते हुए कुल 58 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लेते हुए अधिसूचना जारी की, इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई गईं।
दरअसल, राज्य सरकार ने आबादी के अनुसार आरक्षण देने का निर्णय लेते हुए अनुसूचित जनजाति को 20 की जगह 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 16 की जगह 12 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था, इससे आरक्षण का दायरा संविधान द्वारा निर्धारित 50 फीसदी से ज्यादा हो गया।
याचिकाओं पर करीब 10 साल बाद 19 सितंबर को फैसला आया और हाईकोर्ट ने अधिसूचना को अवैध ठहराते हुए निरस्त कर दिया, प्रदेश में वर्तमान में इंदिरा साहनी मामले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था ही लागू हैं, जबकि प्रदेश की जनसंख्या का अनुपात अन्य प्रदेशों की तुलना में अलग है।
प्रदेश में कुल 923 सीटें, मिलनी थी 284 पर 180 ही मिलीं
प्रदेश के 9 मेडिकल कॉलेजों में कुल 923 सीटें हैं। 32 फीसदी आरक्षण के अनुसार अजजा वर्ग के छात्रों को कुल 284 सीटों पर प्रवेश मिलना था, लेकिन पुराने प्रावधान के अनुसार आरक्षण देने की वजह से अजजा वर्ग के छात्रों को कुल 180 सीटों पर ही एडमिशन मिला है, जाहिर है इस सत्र में अजजा वर्ग के छात्रों को 104 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
अजजा वर्ग के छात्रों को मिलीं कम सीटें
इधर, अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों का कहना है कि जनसंख्या के अनुपात के मुताबिक उन्हें 32 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलना था, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद चूंकि आरक्षण की पिछले प्रावधान के अनुसार एडमिशन दिए गए, इस वजह से उन्हें 104 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
फार्मेसी, डीएलएड बीएड में प्रवेश शुरू
शासन के निर्देश के बाद प्रदेश के कॉलेजों में फार्मेसी, नर्सिंग, बीएड और डीएलएड में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। काउंसिलिंग के बाद छात्र प्रवेश ले रहे हैं।