भारतमाला परियोजना में अधिग्रहित जमीनों के मुआवजे में घोटाला, ऐस हुआ पूरा खेल

रायपुर जिले के अभनपुर तहसील क्षेत्र में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बड़ा खेल खेला गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत चार ग्रामों में कुल 1.3939

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  • Updated On - March 7, 2025 / 11:29 PM IST

रायपुर। रायपुर जिले के अभनपुर तहसील क्षेत्र में भारत माला प्रोजेक्ट(Bharat Mala Project) के तहत बड़ा खेल खेला गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत चार ग्रामों में कुल 1.3939 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी, जिसके एवज में प्रभावित भू-स्वामियों को 29.5 करोड़ रुपए (29.5 crore rupees to landowners)का भुगतान किया जाना था, लेकिन 43 करोड़ 18 लाख 27 हजार 627 रुपए अधिक राशि का भुगतान कर दिया गया।

इन ग्रामों में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी, उनमें ज्यादातर रसूखदार हैं। इन रसूखदारों के नाम पर दर्ज खसरा नंबर की भूमि को कई टुकड़ों में बांटकर उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर बैक डेट पर रजिस्ट्री कराई गई थी। इस तरह एक ही खसरा नंबर की भूमि को कई खसरों में विभाजित कर इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है।

जिला प्रशासन के इन अधिकारियों ने की थी घोटाले की जांच

इस घोटाले की शिकायत पर जिला प्रशासन के तत्कालीन अपर कलेक्टर राजस्व विरेंद्र बहादुर पंचभाई और संयुक्त कलेक्टर निधि साहू ने जांच की थी। इस जांच में घोटाले की पुष्टि की गई थी। यह जांच रिपोर्ट वर्ष 2023 में ही राजस्व मुख्यालय को भेज दी गई थी, लेकिन तब से यह फाइल दबी हुई थी। इस फाइल के खुलते ही शासन ने अब इस मामले में कार्रवाई करना शुरू किया है।

इन ग्रामों में इतनी बांटी गई मुआवजा राशि

अभनपुर क्षेत्र में जिन ग्रामों में 43 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया हैं, उनमें नायकबांधा, भेलवाडीह, टोकनी एवं उरला शामिल है। इनमें नायकबांधा में कुल 28 खसरा नंबरों का 1.8132 हेक्टेयर भूमि के एवज में 15815195 रुपए अधिक मुआवजा बांटा गया। इसी प्रकार ग्राम भेलवाडीह में कुल 4 खसरा रकबा 0.2238 हेक्टेयर भूमि के एवज में 8803208 रुपए, ग्राम उरला में कुल खसरा 7 रकबा 0.3070 हेक्टेयर भूमि के एवज में 26921415 रूपए तथा ग्राम टोकनी में कुल खसरा 5 रकबा 0.220 हेक्टेयर के एवज में 11874277 रुपए अधिक मुआवजा राशि बांटा गया है।

17 लोगों के नाम पर दर्ज थी भूमि 80 नए नाम चढ़ा दिए गए

जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार अभनपुर क्षेत्र में रायपुर-विशाखापट्नम इकनोमिक कॉरिडोर सड़क निर्माण भारत माला परियोजना अंतर्गत चार ग्रामों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए सर्वे किया गया। इस सर्वे तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य लोगों ने मिलकर भूमि के खसरा और रकबा में गड़बड़ी की गई है। जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि चारों गांव में 1 से लेकर 33 नंबर तक खसरा भूमि का रकबा 1.3929 हेक्टेयर था। इन खसरा-रकबा के भू-स्वामियों की संख्या करीब 17 थी, लेकिन खसरा और रकबा को विभाजित करने के बाद इसी भूमि के 97 भूस्वामी बना दिए गए। इसी आधार पर सभी 97 भूस्वामियों को मुआवजा भी दिलाया गया।

एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर बंट गया मुआवजा

जांच रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन लोगों को मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है, उनमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं, जिनके परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर ही भूमि चढ़ा दी गई थी। इनमें किसी परिवार के 12, किसी के 10 तो कईयों के 7 से 6-5 सदस्यों के नाम पर भी भूमि दर्ज है। इनमें नौकर चाकर का भी नाम बताये जा रहे हैं। इस तरह इस घोटाला में दिल खोलकर रसूखदारों के परिवारों को भी फायदा पहुंचा गया है।

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