छत्तीसगढ़। रायपुर के बड़े अस्पताल (AIIMS) में हड़ताल हो गई है। कर्मचारियों ने ये हड़ताल की है। करीब ८०० कर्मचारियों ने (shut down) कामकाज बंद कर दिया। शुक्रवार की सुबह ये सभी सड़क पर धरने पर बैठ गए हैं। यह सभी हाउसकीपिंग और सफाई कर्मचारी हैं । अस्पताल के अलग-अलग विभागों में काम करने वाले इन कर्मचारियों की हड़ताल से कामकाज काफी प्रभावित भी हो रहा है।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने शोषण किए जाने का आरोप लगाया है। दरअसल एमजे नाम की एक कंपनी रायपुर के एम्स में हाउसकीपिंग संबंधित कामों को देखती है । इसमें लगभग ८०० से अधिक कर्मचारी अलग-अलग वर्गों में काम करते हैं । इनमें सफाई, इलेक्ट्रिशियन, गार्डनिंग और दूसरे कर्मचारी शामिल हैं।
अलग-अलग शिफ्ट में काम करने वाले सभी कर्मचारियों ने शुक्रवार को काम बंद कर सड़क पर उतर कर नारेबाजी कर दी। कर्मचारियों का कहना है कि अपसेंट लगाकर, कर्मचारियों को कम वेतन देने, काम के दौरान अलग-अलग तरह से परेशान किया जाता है। सभी कर्मचारियों ने ये आरोप कंपनी के मैनेजर पर लगाए हैं। महिलाओं ने भी तंग करने का आरोप लगाया है। डे, नाइट और जनरल शिफ्ट के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। मांगे नहीं मानी गई तो शनिवार को भी ये हड़ताल जारी रह सकती है। कर्मचारी यूनियन इस पर जल्द फैसला करेगा।
एम्स आउटसोर्सिंग एम्पलाइज यूनियन के उपाध्यक्ष एससी भट्टाचार्य ने बताया कि १० तरह की अलग-अलग मांगों को लेकर यह कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। पिछले दिनों लगातार इसपर एम्स प्रबंधन, कंपनी से बात की गई मगर मांग नहीं मानी गई, इसलिए अब कर्मचारी हड़ताल पर मजबूर हैं।
आरोप है कि हाउसकीपिंग कंपनी के मैनेजर मानसिंह परमार कर्मचारियों को परेशान करते हैं । पिछले १ महीने में २२ कर्मचारियों को नोटिस दिए बिना नौकरी से निकाल दिया गया । उनसे कह दिया गया कि कल से मत आना। इसमें सफाई कर्मचारी, सफाई के सुपरवाइजर, इलेक्ट्रिक टेक्नीशियन, गार्डनिंग का काम करने वाले लोग शामिल थे।
एससी भट्टाचार्य ने कहा कि एम्स में इन कर्मचारियों पर श्रम कानून लागू नहीं किया गया है। जबकि श्रम कानून के नियमों के तहत कर्मचारियों को काम से निकालने से पहले उन्हें नोटिस देना होता है। जानकारी दी जानी चाहिए, लेकिन यहां अफसर मनमानी कर रहे हैं ।
कर्मचारियों से विवाद करके प्रबंधन के लोग उनकी अपसेंट लगा देते हैं । किसी की एक महीने तो किसी की १० दिन बेवजह अपसेंट लगाकर परेशान किया जाता है। एम्स के इन कर्मचारियों पर श्रम कानून, ईपीएफ, बोनस न्यूनतम मजदूरी के कानून का पालन नहीं किया जा रहा। कर्मचारी नेता भट्टाचार्य के मुताबिक स्किल्ड कर्मचारियों को ६८० रुपए मिलने चाहिए जबकि ५५३ देकर ही कर्मचारियों को चलता कर दिया जाता है।