नई महामारी का कारण बन सकते हैं साइबेरिया में जमे प्राचीन ‘जॉम्बी वायरस’: शोध

By : hashtagu, Last Updated : January 24, 2024 | 10:52 am

लंदन, 24 जनवरी (आईएएनएस)। एक शोध में चेतावनी देते हुुए कहा गया है कि गर्म हो रही पृथ्वी और शिपिंग, माइनिंग जैसी मानवीय गतिविधियों में वृद्धि से जल्द ही साइबेरिया में पर्माफ्रॉस्ट (पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे स्थायी रूप से जमी हुई परत) में फंसे प्राचीन ‘जॉम्बी वायरस’ (zombie virus) निकल सकते हैं, जिससे एक नई महामारी फैल सकती है।

वर्षों से ‘मेथुसेलह रोगाणु’ के रूप में जाने जाने वाले, वायरस हजारों वर्षों से पर्माफ्रॉस्ट में निष्क्रिय रहते हैं, लेकिन बीमारियों के फैलने और फैलाने का जोखिम रखते हैं।

फ्रांस के दक्षिण में ऐक्स-मार्सिले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होने के साथ, पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने और अंततः ‘जॉम्बी वायरस’ जारी होने का जोखिम पहले से कहीं अधिक है।

विश्वविद्यालय के आनुवंशिकीविद् जीन-मिशेल क्लेवेरी ने गार्जियन के हवाले से कहा, “फिलहाल, महामारी के खतरों का विश्लेषण उन बीमारियों पर केंद्रित है जो दक्षिणी क्षेत्रों में उभर सकती हैं और फिर उत्तर में फैल सकती हैं।”

उन्‍होंने कहा, इसके विपरीत, उस प्रकोप पर बहुत कम ध्यान दिया गया है जो सुदूर उत्तर में उभर सकता है और फिर दक्षिण की ओर बढ़ सकता है और मेरा मानना है कि यह एक भूल है। वहां ऐसे वायरस हैं जो मनुष्यों को संक्रमित करने और एक नई बीमारी का प्रकोप शुरू करने की क्षमता रखते हैं।

इस पर सहमति जताते हुए रॉटरडैम में इरास्मस मेडिकल सेंटर के वायरोलॉजिस्ट मैरियन कूपमैन्स ने कहा, ”हम नहीं जानते कि पर्माफ्रॉस्ट में कौन से वायरस मौजूद हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इस बात का वास्तविक जोखिम है कि पोलियो के एक प्राचीन रूप के कारण बीमारी फैलने की संभावना हो सकती है।”

पर्माफ्रॉस्ट उत्तरी गोलार्ध के पांचवें हिस्से को कवर करता है और यह मिट्टी से बना होता है। यहां लंबे समय तक शून्य से काफी नीचे तापमान होता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कुछ परतें सैकड़ों-हजारों वर्षों से जमी हुई हैं।

क्लेवेरी ने ऑब्जर्वर से कहा, “पर्माफ्रॉस्ट के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ठंडा है और इसमें ऑक्सीजन की कमी है, जो जैविक सामग्री को संरक्षित करने के लिए बिल्कुल सही है।”

उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक समुद्री बर्फ के गायब होने से मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

आगे कहा, “साइबेरिया में शिपिंग, यातायात और औद्योगिक विकास में वृद्धि हो रही है। बड़े पैमाने पर खनन कार्यों की योजना बनाई जा रही है और तेल और अयस्कों को निकालने के लिए गहरे पर्माफ्रॉस्ट में विशाल छेद किए जा रहे हैं।

उन्होंने अखबार को बताया, “उन ऑपरेशनों से भारी मात्रा में रोगजनक निकलेंगे जो अभी भी वहां पनप रहे हैं। खनिक अंदर चले जाएंगे और सांस के जरिए वायरस ले लेंगे। जिसके प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं।”

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की रिपोर्ट है कि आर्कटिक का औसत तापमान पहले ही वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक दर से बढ़ चुका है, और यह औसत तापमान परिवर्तन की उच्चतम दर वाला क्षेत्र है।

पिछले साल, रूस, जर्मनी और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पर्माफ्रॉस्ट में फंसी छह प्राचीन बीमारियों की पहचान की थी, जो दुनिया पर अप्रत्याशित कहर बरपाने ​​की क्षमता रखती थीं।