मीठे पेय पदार्थों से बढ़ सकता है स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा : शोध

स्वीडन में हुए एक बड़े शोध में यह बात सामने आई है कि मीठे पेय पदार्थ पीने से स्ट्रोक, दिल का दौरा और एट्रियल फिब्रिलेशन जैसी गंभीर हृदय

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  • Updated On - December 9, 2024 / 09:34 PM IST

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। स्वीडन में हुए एक बड़े शोध में यह बात सामने आई है कि मीठे पेय पदार्थ पीने (drinking sugary beverages)से स्ट्रोक, दिल का दौरा और एट्रियल फिब्रिलेशन जैसी गंभीर हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है। 

शोध से यह पता चला है कि बहुत ज्‍यादा मात्रा में चीनी का सेवन करने से स्ट्रोक या एन्यूरिज्म का जोखिम (Risk of stroke or aneurysm due to sugar consumption)बढ़ सकता है। हालांकि, वहीं इसके विपरीत सीमित मात्रा में चीनी का सेवन सुरक्षित हो सकता है।

फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि मीठे पेय पदार्थों का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए किसी भी अन्य प्रकार की चीनी से अधिक हानिकारक है।

लुंड विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की कैंडिडेट सुजैन जांजी ने कहा, ”मीठे पेय पदार्थ जिनमें तरल शर्करा होती है, वे आमतौर पर मीठे के अन्‍य विकल्‍पों की तुलना में कम तृप्ति प्रदान करते हैं।”

जांजी ने कहा कि इससे लोगों को तृप्ति का अहसास नहीं होता, जिससे इसके अधिक लेने की संभावना बढ़ जाती है।

इसके अलावा, सामाजिक अवसरों या विशेष अवसरों पर अक्सर आनंद लिए जाने वाले पेयों के विपरीत, मीठे पेयों का सेवन नियमित रूप से किया जा सकता है।

चीनी का सेवन हृदय रोग के जोखिम को कैसे प्रभावित करता है यह समझने के लिए कि टीम ने 69,705 प्रतिभागियों के नमूने के साथ दो प्रमुख शोधों से डेटा एकत्र किया।

शोध में शहद, पेस्ट्री या कार्बोनेटेड पेय जैसे मीठे पेय और सात हृदय संबंधी रोगों के बीच संबंध का मूल्यांकन किया। दो अलग-अलग प्रकार के स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, एओर्टिक एन्यूरिज्म, एट्रियल फाइब्रिलेशन और एओर्टिक स्टेनोसिस के लिए जिम्‍मेदार है।

10 वर्षों तक चले इस शोध के दौरान 25,739 प्रतिभागियों में हृदय रोग का पता लगाया गया।

शोध में कहा गया है कि सामान्य रूप से चीनी के अधिक सेवन से इस्केमिक स्ट्रोक और एब्डोमिनल एओर्टिक एन्यूरिज्म का जोखिम बढ़ जाता है। इसने सामान्य बीएमआई वाले प्रतिभागियों में हृदय विफलता के जोखिम को भी बढ़ा दिया।

उल्लेखनीय रूप से शोधकर्ताओं ने पाया कि नकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम का सबसे अधिक जोखिम कम सेवन से शुरू हुआ, जिससे पता चलता है कि अत्यंत कम चीनी का सेवन हृदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक या लाभकारी नहीं हो सकता है।

हालांकि जांजी ने कहा कि यह अध्ययन अवलोकनात्मक है और इससे कारण-कार्य संबंध स्थापित नहीं किया जा सकता।”

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