अहमदाबाद, 4 फरवरी (आईएएनएस)। देश में कैंसर (cancer) जैसी जानलेवा बीमारी से निपटने के लिए सरकार अलग-अलग प्रकार के विश्वस्तरीय इलाज पद्धतियों को भारत में लाकर लोगों को ठीक करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में अहमदाबाद के गुजरात कैंसर एंड रिसर्च सेंटर (जीसीआरआई) कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए रोबोट की मदद से रेडिएशन देकर कैंसर की गांठ का इलाज किया जा रहा है।
इसके लिए संस्थान में अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें तीन लीनियर एक्सेलरेटर, एक कोबाल्ट (भाभाट्रॉन), एक इरिडियम, 4डी सीटी सिम्युलेटर और एक कन्वेंशनल (एक्सरे सिम्युलेटर) शामिल हैं। इन मशीनों को 95 करोड़ रुपये की लागत से संस्थान में लाया गया है, जहां प्रशिक्षित चिकित्सक और तकनीशियन की टीम मरीजों का उपचार कर रही है।
राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की सुविधा देने वाला गुजरात देश का इकलौता राज्य है। सिविल अस्पताल में रोबोट की मदद से सर्जरी भी की जाती है। जीसीआरआई में 38 करोड़ रुपये की साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी मशीन स्थापित की गई है, जो कैंसर की 5 मिलीमीटर से 3 सेंटीमीटर तक की गांठ को कम से कम दुष्प्रभाव के साथ खत्म करने में सक्षम है। यह मशीन सरकारी अस्पताल में पूरे देश में केवल गुजरात (जीसीआरआई) में उपलब्ध है। इसके अलावा, जीसीआरआई में ट्रूबीम लिनेक (एक प्रकार की रेडियोथेरेपी उपचार प्रणाली) और टोमोथैरेपी जैसी आधुनिक सुविधाएं भी मौजूद हैं।
साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी तकनीक हाई डोज रेडिएशन देकर मस्तिष्क, फेफड़े, लिवर, मेरूदंड और प्रोस्टेट जैसे संवेदनशील अंगों में कैंसर की गांठ का सटीक उपचार करने में कारगर है। इस तकनीक से आसपास के स्वस्थ ऊतकों को कम नुकसान होता है। साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी स्टीरियोटेक्टिक रेडियो सर्जरी (एसआरएस) और स्टीरियोटेक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (एसबीआरटी) से की सटीकता के साथ बहुत छोटी गांठ को भी टारगेट किया जाता है, जिससे मरीजों का इलाज एक से पांच दिनों में पूरा हो जाता है और उन्हें अस्पताल में अधिक समय तक भर्ती रहने की जरूरत नहीं पड़ती।
ट्रू बीम लीनियर एक्सेलरेटर की रैपिड आर्क तकनीक स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़े, सिर और गले के कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी है। यह मरीज की श्वसन प्रणाली के आधार पर ट्यूमर को टारगेट कर रेडिएशन देने की क्षमता रखता है, जिससे साइड इफेक्ट्स कम होते हैं और अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचता।
टोमोथैरेपी तकनीक ट्यूमर को परत दर परत ट्रीट करती है, जिससे ओवरडोज और अंडरडोज की समस्या नहीं होती। यह बड़ी और जटिल गांठों के उपचार में सहायक है और खासतौर पर बच्चों के कैंसर और कैंसर की पुनरावृत्ति के मामलों में प्रभावी साबित होती है।
इस अत्याधुनिक तकनीक के कारण इलाज की लागत भी कम हुई है। जहां अन्य मशीनों से इस तरह के इलाज की लागत 5 लाख रुपये तक होती थी, वहीं अब यह केवल 75 हजार रुपये में संभव हो गया है। खास बात यह है कि आयुष्मान कार्ड धारकों को इस सुविधा का लाभ मुफ्त में मिलेगा, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को राहत मिलेगी।
जीसीआरआई में डॉक्टर विनय तिवारी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया, “आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए इलाज बिल्कुल मुफ्त है। जिनके पास कार्ड नहीं है, उनके लिए भी लागत बहुत कम है, सिर्फ 75,000 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों में यह लाखों में आता है, जैसे कि दो से पांच लाख रुपये। हमारे यहां इलाज का खर्च मात्र 75,000 रुपये होता है। इसकी एक विशेष बात यह है कि इलाज एक से पांच दिन या एक हफ्ते में ही पूरा हो जाता है, जबकि अन्य मशीनों से इलाज करने में डेढ़ से दो हफ्ते लग जाते हैं।”