भोपाल, 13 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में विधायकों के लिए अच्छा वक्त नहीं चल रहा है। यही कारण है कि एक के बाद एक कुल तीन विधायकों की विधायकी ही खतरे में हैं। काफी अरसे बात ऐसा समय आया है जब एक साथ इतने विधायकों की सदस्यता संकट में है। फिलहाल उनके पास उच्चतम न्यायालय जाने का रास्ता खुला है। राज्य में अगले साल होने वाले चुनावों की तैयारी में तमाम नेता जुटे हुए है, वहीं राज्य के तीन विधायक ऐसे है जिन्हें चुनाव में जाने से पहले न्यायालय के रास्ते जीत पाना जरुरी हो गया है। नया मामला अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का है। उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करते हुए विधानसभाध्यक्ष को जज्जी की सदस्यता खत्म करने के लिए पत्र लिखा है।
ग्वालियर खंडपीठ ने जज्जी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश में विधायक जज्जी पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ ही सदस्यता निरस्त करने के लिए कहा गया है।
जज्जी ने वर्ष 2018 में अशोकनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जज्जी ने कीर जाति का प्रमाण पत्र बनवाया था। जाति प्रमाण पत्र को एक याचिका के जरिए चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया कि यह जाति पंजाब में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह सामान्य वर्ग में आती है। इसलिए जजपाल सिंह को मध्यप्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं और इनका प्रमाण पत्र वहीं बनेगा। उसी राज्य में लागू होगा।
जज्जी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, उसके बाद वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी।
एक अन्य विधायक मुरैना जिले के सुमावली से कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जमीन को अपना बताते हुए लगभग 75 लाख में बेच दी थी। इस मामले में पुरुषोत्तम शाक्य नामक व्यक्ति ने ग्वालियर के महाराजपुरा में शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची, मगर कब्जा नहीं मिला। इस पर पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया था।
मामला ग्वालियर के न्यायालय में गया तो वहां से विधायक अजब सिंह सहित अन्य लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई है और 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के बाद कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा है। नियमानुसार अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता तो जाएगी ही साथ में वह छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा।
एक अन्य मामला टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से भाजपा के विधायक राहुल लोधी का है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे लोधी के खिलाफ उच्च न्यायालय जबलपुर का फैसला आया है जिसमें चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव के नामांकन में अपने बारे में सही जानकारी दर्ज नहीं की। उन्होंने एक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी की बात को छुपाया, जिसके खिलाफ कांग्रेस की उम्मीदवार चंदा सिंह गौर न्यायालय गई थी।
इस तरह तीन विधायकों की सदस्यता संकट में है, दो भाजपा और एक कांग्रेस से है। कुल मिलाकर इन तीनों को चुनाव में जाने से पहले न्यायालय के जरिए जीत हासिल करनी होगी, तभी वे चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा सकेंगे।