51 लाख पेड़ों के लिए दो इंदौर के बराबर क्षेत्रफल की जरूरत : जीतू पटवारी

By : hashtagu, Last Updated : July 14, 2024 | 6:50 pm

भोपाल, 14 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू किये गये ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 51 लाख पौधे लगाने के संकल्प पर सवाल (Question on resolution to plant 51 lakh saplings) उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Congress President Jitu Patwari) ने रविवार को कहा कि 51 लाख पेड़ों के लिए इंदौर के कुल क्षेत्रफल की दोगुनी जमीन चाहिए। शहर के रेवती रेंज में 11 लाख पौधे लगाने के साथ आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस अभियान की शुरुआत की गई।

जीतू पटवारी ने कहा कि पौधारोपण के प्रति आम जनता का रुझान बनाना बहुत अच्छी बात है। यह स्वागत योग्य कदम है। लेकिन सिर्फ पौधे लगाना, विज्ञापन देना, इवेंट करना, पैसा लगाना ही सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। उनका संरक्षण भी होना चाहिए, उन्हें जिंदा रखने की भी कोशिश होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक पौधे के विकसित होने और पेड़ बनने में जितनी जमीन की जरूरत होती है उस हिसाब से 51 लाख पौधों के लिए पूरे इंदौर के क्षेत्रफल की तुलना में दोगुनी जमीन की जरूरत होगी।

नर्मदा नदी के किनारे साढ़े छह करोड़ पौधे लगाने के भाजपा सरकार के दावे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब सर्वे किया गया और मीडिया के लोग वहां पहुंचे तो एक भी पौधा नहीं मिला। उन्होंने कहा, “भाजपा कहती है कि हमारी सरकार ने साढ़े छह करोड़ पौधे खरबों रुपये खर्च करके लगाए। लेकिन रुपये और पौधों को लेकर भ्रष्टाचार की जांच चल रही है जो विधानसभा की किसी ने किसी फाइल में है। भाजपा सरकार जनता के साथ धोखा बंद करें।”

अमरवाड़ा उपचुनाव को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि मतगणना में 17 राउंड तक कांग्रेस पार्टी जीत की ओर थी। उसके बाद के राउंड में एक घंटा गिनती रोकी गई। लंच की बात कही गई, जो समझ से परे था। पूरा प्रशासन, कलेक्टर लगा हुआ था। आशा, आंगनवाड़ी की बहनें, जितने कर्मचारी होते हैं, सभी को वोट डालने के लिए लगाया गया। खुलेआम शराब बांटी गई, वहां हर आदमी को पता है। प्रशासन के अद्भुत तांडव के बावजूद मात्र तीन हजार वोट से चुनाव जीतना इस सरकार की नैतिक हार है।

उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान और बाबा साहब से नफरत करती है। सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार इस सरकार के दौरान हुए हैं। इनका दलित विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।