मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं मिलने की आशंका से मध्यप्रदेश भाजपा में घमासान शुरू

बीजेपी अपने चुने हुए प्रतिनिधियों का रिपोर्ट कार्ड बना रही है, लेकिन इसका नतीजा बहुत सुखद नहीं है, इसलिए पार्टी इनमें से कई के टिकट काट सकती है।

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  • Updated On - June 24, 2023 / 04:59 PM IST

संदीप पौराणिक

भोपाल, 24 जून | मध्य प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) को कांग्रेस से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही भगवा पार्टी में आंतरिक कलह भी बढ़ रहा है। 15 महीने पुरानी कमल नाथ सरकार को छोड़कर, भाजपा दो दशकों से राज्य में सत्ता में है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में सबसे दिलचस्प मुकाबला 2018 में देखने को मिला, जब बीजेपी सत्ता से बेदखल हो गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 विधायकों के भाजपा में चले जाने के बाद राज्य में कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई।

बीजेपी अपने चुने हुए प्रतिनिधियों का रिपोर्ट कार्ड बना रही है, लेकिन इसका नतीजा बहुत सुखद नहीं है, इसलिए पार्टी इनमें से कई के टिकट काट सकती है।

कुछ को टिकट मिलने और कुछ के न छूटने को लेकर पार्टी कैडर में टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। वे एक-दूसरे को सबक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, पार्टी को कमजोर कर रहे हैं।’

बुन्देलखण्ड के सागर जिले में पिछले कई सालों से शिवराज कैबिनेट में मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह के बीच अपने प्रभाव को लेकर शीत युद्ध चल रहा है।

हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने जब मंत्रियों को शांत कराया तो यह टकराव खुलकर सामने आ गया। हालांकि, खेल अभी खत्म नहीं हुआ है।

विंध्य क्षेत्र में सतना सांसद गणेश सिंह और मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। ये दोनों पिछले चुनाव में दूसरे को जिताने का दावा कर रहे हैं।

उज्जैन में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को तमाम वरिष्ठ नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री और शर्मा से भी शिकायत की है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश में करीब दो दशक से बीजेपी की सरकार है और जब भी कोई पार्टी इतने लंबे समय तक सत्ता में रहती है, तो उसे सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ता है।

भाजपा के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और भगवा पार्टी को कलह का सामना करना पड़ रहा है, इससे निपटना बहुत आसान नहीं है।

संगठन जमीनी स्तर से ही खुद को मजबूत करने में लगा हुआ है, जबकि राज्य सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और उपायों की घोषणा कर रही है। हालांकि, पार्टी में कलह के कारण मतदाता एक अलग तरह का दृष्टिकोण बना रहे हैं।(आईएएनएस)