रायसेन (मध्य प्रदेश): रायसेन जिले के ग्राम गुदावल में स्थित मां कंकाली (Kankali)का मंदिर चमत्कारों और आस्था का केंद्र माना जाता है। करीब 400 साल पुराना यह मंदिर नवरात्रि के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। यहां देवी की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन दशहरे के दिन कुछ क्षणों के लिए सीधी हो जाती है, जो कि आज तक एक रहस्य बना हुआ है।
माना जाता है कि जिसे भी मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। हालांकि, किसी ने इसे अपनी आंखों से होते देखा नहीं, लेकिन वर्षों से इस मान्यता पर श्रद्धालु विश्वास करते आ रहे हैं।
मंदिर में दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त चुनरी चढ़ाने, बंधन बांधने और मनोकामना मांगने आते हैं। मान्यता है कि यहां जो भी बंधन बांधकर मनोकामना करता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर भक्त वापस आकर बंधन खोलते हैं।
निसंतान दंपत्तियों के लिए भी यह मंदिर विशेष महत्व रखता है। महिलाएं उल्टे हाथ से दीवारों पर गोबर का निशान लगाती हैं और मन्नत पूरी होने पर सीधे हाथ से नया निशान बनाती हैं। इसके बाद बच्चे का मुंडन यहीं कराया जाता है और भक्त झूमते-गाते मां का आभार जताते हैं।
मां कंकाली के दर्शन की मान्यता की शुरुआत एक स्वप्न से हुई थी। बताया जाता है कि 1731 में गांव के निवासी हरलाल मीणा को मां कंकाली ने स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर की खुदाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद खुदाई में देवी की मूर्ति प्राप्त हुई और यहीं मंदिर की स्थापना हुई।
मंदिर परिसर का निर्माण अद्भुत वास्तुकला से किया गया है। यहां एक ऐसा 10,000 वर्गफीट का हॉल है जिसमें एक भी पिलर नहीं है। मंदिर का विस्तार जनसहयोग से किया जा रहा है, और इसकी लागत करीब 7 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
सुरक्षा और सुविधाएं भी पूरी हैं। नवरात्रि में पुलिस बल, पार्किंग, आश्रय स्थल, फलाहार और भोजन की व्यवस्था की जाती है। मंदिर भोपाल से 25 किलोमीटर और रायसेन से 40 किलोमीटर दूर स्थित है।
