भिंड (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के भिंड जिले (Bhind district) से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक तहसीलदार ने किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे “भिंड” जिले की मौत का प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) जारी कर दिया। अब यह मामला न सिर्फ सोशल मीडिया पर चर्चा में है, बल्कि प्रशासन को भी कटघरे में ला खड़ा किया है।
यह अजीबोगरीब मामला चतुर्वेदी नगर का है, जहां रहने वाले गोविंद के पिता रामहेत का निधन वर्ष 2018 में हो गया था। अप्रैल 2025 में जब परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने आवेदन किया। लेकिन 5 मई 2025 को जब तहसीलदार कार्यालय से प्रमाण पत्र जारी हुआ, तो उसमें मृतक का नाम “भिंड”, पता “भिंड” और मृत्यु का स्थान भी “भिंड” दर्ज था।
इस त्रुटि के उजागर होते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर चुटकी ली। मीम्स और तंज की बाढ़ आ गई—किसी ने लिखा “अब जिले की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करो”, तो किसी ने कहा “MP में अब जिले भी मरते हैं।”
जब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने की बजाय गलती लोक सेवा केंद्र के सिर पर मढ़ दी। उन्होंने इसे “टाइपिंग मिस्टेक” बताकर पल्ला झाड़ा और लोक सेवा केंद्र संचालक पर ₹25,000 का जुर्माना लगा दिया।
हालांकि, असली सवाल यह उठता है कि जब मृत्यु प्रमाण पत्र पर तहसीलदार के खुद के डिजिटल हस्ताक्षर होते हैं, तो उन्होंने प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उसे ठीक से जांचा क्यों नहीं? इस लापरवाही के चलते अब खुद तहसीलदार मोहन लाल शर्मा पर कार्रवाई हुई है। अपर कलेक्टर एलके पांडेय ने उन्हें पद से हटाकर भू-अभिलेख शाखा में अटैच कर दिया है।
इस पूरे मामले ने सरकारी दस्तावेजों की विश्वसनीयता और सतर्कता पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक जिला ही कागजों में ‘मृत’ घोषित हो सकता है, तो आम नागरिकों के कागज़ों की शुद्धता की क्या गारंटी है?
अब देखना यह है कि क्या इस “जिले की मौत” से सरकारी व्यवस्था कुछ सीख लेती है या फिर अगला नंबर किसी और जिले का होगा!
