भोपाल, 9 जून (आईएएनएस)। भारतीय राजनीति में सक्रिय राजघराने में पहली पंक्ति में ग्वालियर के सिंधिया (Scindia) राज घराने का नाम आता है। इस परिवार के प्रमुख प्रतिनिधि और गुना से निर्वाचित सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी कद लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्हें एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में जगह मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश के गुना से निर्वाचित सांसद सिंधिया ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली है।
सिंधिया के सियासी सफर पर गौर किया जाए तो उन्होंने वर्ष 2002 में राजनीति में प्रवेश किया था और बीते 22 साल में उनका सियासी कद लगातार बढ़ता गया है।
ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया की 2001 में हुई असमय मृत्यु के चलते राजनीति के मैदान में सक्रिय होना पड़ा था। ज्योतिरादित्य ने 2002 में गुना संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उपचुनाव लड़ा और उसके बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत दर्ज की।
उसके बाद उन्हें 2007 में पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री का प्रभार मिला। वहीं सिंधिया 2009 के चुनाव में जीतने के बाद उद्योग और वाणिज्य राज्य मंत्री बने।
वर्ष 2014 में देश में मोदी लहर थी, उसके बावजूद सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिंदगी में बड़ा बदलाव 2019 के लोकसभा चुनाव में आया। जब उन्हें गुना संसदीय क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा।
इससे पहले 2018 में हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी थी और उसमें सिंधिया की बड़ी भूमिका थी।
लोकसभा चुनाव की हार के बाद सिंधिया को कांग्रेस के नेता ही किनारे करने लगे और सिंधिया ने वर्ष 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
सिंधिया को भाजपा ने राज्यसभा का चुनाव लड़ाया और निर्वाचित हुए। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री भी बने। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं।