एमपी व्यापम घोटाला मामले में दो को 4 साल के कठोर कारावास की सजा
By : hashtagu, Last Updated : December 20, 2023 | 9:34 pm
- सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में 18 अगस्त 2015 को तत्काल मामला दर्ज किया था। अधिकारी ने कहा, ”15 सितंबर 2013 को व्यापम (भोपाल) की एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2013 (द्वितीय) में गलत पहचान के आरोप में मधुराज सिंह के खिलाफ 11 फरवरी 2014 को पुलिस स्टेशन कम्पू ग्वालियर में दर्ज मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली थी।”
यह भी आरोप लगाया गया कि उम्मीदवार मधुराज सिंह 1 फरवरी 2014 को 14वीं बटालियन, एसएएफ ग्राउंड (ग्वालियर) में आयोजित एमपी पीसीआरटी-2013 (द्वितीय) की शारीरिक दक्षता परीक्षा में उपस्थित थे, लेकिन, फोटो मिलान नहीं होने के कारण अधिकारियों ने उसे रोक दिया।
जांच के बाद राज्य पुलिस ने उक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई जांच के दौरान पता चला कि मधुराज सिंह लिखित परीक्षा में शामिल नहीं हुआ था।
सीबीआई ने 26 अप्रैल 2016 को आरोपियों के खिलाफ पहली सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इससे पहले, मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने 24 दिसंबर, 2018 को अपने फैसले में मधुराज सिंह को जुर्माने के साथ पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
अन्य आरोपियों/संदिग्धों के खिलाफ आगे की जांच जारी रखी गई। जिसमें पता चला कि एक अन्य उम्मीदवार सतेंद्र सिंह यादव की पहचान को पीसीआरटी 2013 (द्वितीय) में सॉल्वर जितेंद्र कुमार से बदल दिया गया था। सीबीआई ने 10 मई 2018 को ग्वालियर की अदालत के समक्ष आरोपियों के नए समूह के खिलाफ दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की। ट्रायल कोर्ट ने उक्त आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।