नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्र सरकार गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संपत्ति (Wakf property) से जुड़ा विधायक पेश करेगी, वहीं दूसरी ओर राज्यसभा से वक्फ संपत्ति से जुड़ा विधेयक वापस लिया जाएगा।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने 18 फरवरी 2014 को राज्यसभा में वक्फ संपत्ति से जुड़ा यह बिल पेश किया था। अब केंद्र सरकार ने इसे राज्यसभा से वापस लेने का फैसला किया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रिजिजू गुरुवार को इसे वापस लेने का विधेयक राज्यसभा में पेश करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान राज्यसभा में विपक्षी दल कड़ा विरोध दर्ज करा सकते हैं। ऐसा ही विरोध तब भी देखने को मिला था जब 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम, 1995 को निरस्त करने का एक प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था।
उस समय बतौर प्राइवेट मेंबर यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था। राज्यसभा में यह बिल पेश करने की अनुमति मांगते हुए भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है।
राज्यसभा में यह बिल पेश करते समय काफी विवाद हुआ था और सदन में बिल को पेश करने के लिए भी मतदान कराना पड़ा था। तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53 जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया था। राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करते समय कहा गया था कि वक्फ बोर्ड से जुड़ा मौजूदा कानून अपनी ताकत का दुरुपयोग करता है।
समाज की एकता और सद्भाव को विभाजित करता है। अपनी अकूत शक्तियों के आधार पर सरकारी, निजी संपत्तियों, मठ और मंदिरों पर मनमाने तरीके से कब्जा करता है। हालांकि, सरकार की ओर से पेश किया जा रहा बिल, पूर्व के प्राइवेट मेंबर बिल के मुकाबले काफी अलग होगा।
सरकार द्वारा लाए जा रहे बिल में वक्फ बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों को कम कर इसकी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और इसमें मुस्लिम महिलाओं समेत मुस्लिम समाज के अन्य पिछड़े वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा और आगाखानी जैसे वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रावधान हो सकते हैं। ऐसे ही प्रावधानों को लेकर केंद्र सरकार आज दो महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में पेश करने जा रही है।