नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्र (Centre) ने गुरुवार को झारखंड (Jharkhand) के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म (eco tourism) गतिविधियों पर रोक लगा दी, जहां जैनियों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक सम्मेद शिखरजी स्थित है। राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वह पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाए, जिनके अनुसार पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थो की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के पवित्र स्थल जैसे पवित्र स्मारक, झीलें, चट्टानें, गुफाएं और मंदिर, हानिकारक वनस्पतियों या जीवों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण, जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक कार्य करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना, पालतू जानवरों के साथ आना और पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रेकिंग आदि की अनुमति नहीं है।
मंत्रालय ने पिछले कुछ दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाली कुछ गतिविधियों से संबंधित मुद्दों के बारे में जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठनों से कई अभ्यावेदन प्राप्त करने के बाद यह कदम उठाया है। शिकायतों में झारखंड सरकार द्वारा पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने वाली अधिसूचना के प्रावधानों का दोषपूर्ण कार्यान्वयन शामिल था। कहा गया है कि राज्य सरकार की इस तरह की लापरवाही से जैन समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।
इस संबंध में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ पूरे मामले पर चर्चा करने और संभावित समाधान निकालने के लिए एक बैठक बुलाई थी। प्रतिनिधि बड़ी संख्या में आए और उन्होंने सम्मेद शिखरजी की वर्तमान स्थिति और स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए समुदाय की मांगों के बारे में बात की।
मंत्रालय ने कहा, 2 अगस्त, 2019 को जारी इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के संदर्भ में, पवित्र पाश्र्वनाथ पर्वत क्षेत्र से परे एक बफर जोन की रक्षा के लिए जारी किया गया, उक्त इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।
इसके अलावा केंद्र ने अपने निर्देश में कहा है, “पर्यावरण, (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत इस अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खंड 5 के तहत एक निगरानी समिति गठित की गई है। राज्य सरकार को निदेश दिया जाता है कि वह इस समिति में जैन समुदाय से दो सदस्यों तथा स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य को स्थायी सदस्यों के रूप में आमंत्रित करे, ताकि ईको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी में स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया जा सके।”
उल्लेखनीय है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में अनशन पर बैठे 72 वर्षीय जैन मुनि का मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया।