साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कल, वृषभ, तुला और कुंभ राशि वालों के लिए अलर्ट

By : dineshakula, Last Updated : September 6, 2025 | 12:41 pm

Chandragrahan: साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को लगने जा रहा है, जो ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में साफ-साफ दिखाई देगा, और इसकी खगोलीय सुंदरता के साथ-साथ इसके ज्योतिषीय प्रभाव भी चर्चित बने हुए हैं।

यह चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा धरती की पूर्ण छाया में रहेगा और रक्तवर्ण यानी ‘ब्लड मून’ के रूप में दिखाई देगा। यह दृश्य लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा और देशभर में सभी स्थानों से देखा जा सकेगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस ग्रहण के साथ ही सूतक काल का आरंभ हो जाएगा, जो दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर ग्रहण समाप्ति तक यानी रात 1:26 बजे तक जारी रहेगा। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और पूजा-पाठ, भोजन या रसोई के कार्य वर्जित माने जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को खास सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है — जैसे कि नुकीली वस्तुओं से दूर रहना और घर से बाहर न निकलना।

चंद्र ग्रहण का यह समय कुछ राशियों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बताया जा रहा है। ज्योतिष अनुसार यह ग्रहण शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लग रहा है, जिसमें राहु और चंद्रमा की युति ग्रहण योग बना रही है। इससे वृषभ, तुला और कुंभ राशि वालों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है।

वृषभ राशि वालों को स्वास्थ्य और व्यापार में हानि की संभावना जताई गई है। इन्हें सफेद वस्त्र धारण करने और दूध का दान करने की सलाह दी गई है।
तुला राशि वालों को मानसिक तनाव और आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इनके लिए देवी लक्ष्मी की पूजा और वस्त्र दान करना लाभकारी रहेगा।
कुंभ राशि में ग्रहण लगने के कारण इस राशि के जातकों के लिए यह समय अत्यंत संवेदनशील है। इन्हें महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनना, भगवान को भोग लगाना और जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान करना विशेष फलदायी माना गया है। ऐसा करने से न केवल नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

यह चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा समय है जब व्यक्ति आत्मचिंतन, साधना और शुद्धिकरण की ओर अग्रसर हो सकता है।