अब रेल कोच के आखिरी डिब्बे में स्ट्रेचर का इंतजाम
By : hashtagu, Last Updated : February 14, 2023 | 3:28 pm
हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि आने वाले वर्षों में देश को रेलवे का एक नया रूप देखने को मिलेगा। उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में ये जानकारी भी दी थी कि सभी रेलवे स्टेशनों और यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों में जीवन रक्षक दवाओं, उपकरणों, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि से युक्त एक मेडिकल बॉक्स उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
फ्रंट लाइन स्टाफ यानी ट्रेन टिकट परीक्षक, ट्रेन गार्ड व अधीक्षक, स्टेशन मास्टर आदि को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
ऐसे कर्मचारियों के लिए नियमित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सभी रेलवे स्टेशनों पर नजदीकी अस्पतालों और डॉक्टरों की सूची उनके संपर्क नंबरों के साथ उपलब्ध है।
रेलवे, राज्य सरकार के या निजी अस्पतालों और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं की एम्बुलेंस सेवाओं का उपयोग घायल, बीमार यात्रियों को अस्पतालों व डॉक्टर के क्लीनिक तक पहुँचाने के लिए किया जाता है।
इसी के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर में तीन सप्ताह बाद चलने वाली रैपिड रेल कोच के आखिरी डिब्बे में स्ट्रेचर का इंतजाम किया गया है। अगर किसी मरीज को मेरठ से दिल्ली रेफर किया जाता है तो इसके लिए एक अलग कोच की व्यवस्था है ताकि कम कीमत में मरीज को पहुंचाया जा सके। इसके साथ महिलाओं के लिए अलग कोच की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दिव्यांगों के लिए अलग सीट्स तैयार की गई है जिन्हें इस्तेमाल न होने की सूरत में मोड़ा जा सकेगा।
दरअसल देश की पहली रैपिड रेल तीन सप्ताह बाद गाजियाबाद के साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक दौड़ने लगेगी। अगले महीने से यह दुहाई डिपो से साहिबाबाद के बीच यात्रियों के लिए 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ने लगेगी। इस रूट पर 5 स्टेशन होंगे। जिसमें साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो हैं।
दरअसल दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर परियोजना का मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की भीड़भाड़ को कम करना है। इसके अलावा, वाहनों के यातायात और वायु प्रदूषण पर लगाम कसना और संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना है।