नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस(International Equal Pay Day) हर साल 18 सितंबर को मनाया जाता है। यह महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले समान कार्य के लिए समान वेतन के अंतर को कम करने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन(salaries between men and women) अंतर को समाप्त करना है। अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम वेतन मिलता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 15 नवंबर, 2019 को पहली बार 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने की घोषणा की थी। यूएनजीए के 74वें सत्र में अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। यह प्रस्ताव 105 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित था। इसके बाद सदस्य देशों की सहमति के बाद इसे मनाने का फैसला लिया गया। उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2020 से इसे लगातार मनाया जा रहा है।
पूरी दुनिया में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में भारी अंतर देखने को मिलता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक, वर्कस्टेशन पर वेतन के मामले में महिलाओं के साथ आज के दौर में भी भेदभाव होता है। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन अधिक कार्य करना पड़ता है। यूएन द्वारा 2020 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को खत्म करने में करीब 257 साल का समय लग सकता है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन में अंतर को कम करने के लिए अभी भी करीब 100 साल का समय लगेगा।
दुनियाभर में अधिकतर देश पुरुष प्रधान हैं, जिस वजह से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम आंका जाता है, लेकिन अब समय बदल गया है। सभी क्षेत्रों में महिलाएं तेजी से आगे आ रही हैं। इन्हीं बातों को ध्यान रखते हुए हर साल 18 सितंबर को यूएन की ओर से अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिससे लैंगिक भेदभाव को कम किया जा सके।