नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। विस्मृति के गर्त में जा रही कथक की रायगढ़ घराना (Raigarh Gharana) परंपरा को दोबारा पहचान दिलाने के उद्देश्य से नृत्यांगना यास्मीन सिंह की लिखी दो पुस्तकों का केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को विमोचन किया।
लेखिका यास्मीन सिंह स्वयं कथक नृत्यांगना हैं। एक पुस्तक का शीर्षक है “कथक नृत्य प्रणेता और संरक्षक : राजा चक्रधर सिंह”। दूसरी पुस्तक “रायगढ़ घराने की कथक रचनाओं का सौंदर्य बोध” है। विमोचन के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष रमन सिंह और अदाणी फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रीति अदाणी भी मौजूद थीं।
यास्मीन सिंह ने विमोचन के बाद आईएएनएस से कहा, “ये किताबें राजा चक्रधर सिंह के योगदान पर आधारित हैं। मध्य भारत में रायगढ़ की रियासत में चक्रधर सिंह थे, जिन्होंने संगीत के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपना जीवन यापन किया था। वह संगीत के प्रेमी थे और खुद बहुत अच्छे नर्तक, तबला वादक, पखावज वादक और साहित्यकार थे। उन्हीं की सभी रचनाओं को और उनके जीवनकाल को इन किताबों में लिखा है।”
उन्होंने कहा कि कथक की रायगढ़ परंपरा को नई पहचान दिलाने के लिए स्कूल-कॉलेज में इसके बारे में बताया जाना चाहिए, इस पर पुरस्कार स्थापित किए जा सकते हैं, वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित किए जा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति को सकारात्मक संकेत बताते हुए उन्होंने कहा, “जब राजनीतिक इच्छा शक्ति आती है तो अपने-आप नीतियां बनने लगती हैं। कला का संरक्षण हमेशा से राजाओं ने ही किया। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ये चीजें जल्दी ही सभी लोगों तक पहुंचेगी।”
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “रायगढ़ घराने की कथक परंपरा भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक महत्वपूर्ण अंग है। डॉ. यास्मीन सिंह की इन पुस्तकों के माध्यम से हम राजा चक्रधर सिंह की अनमोल विरासत को संरक्षित और प्रचारित कर सकते हैं।”
रमन सिंह ने कहा, “डॉ. यास्मीन सिंह ने रायगढ़ घराने की कला परंपरा को सहेजने और उसके प्रचार-प्रसार करने का जो प्रयास किया है, वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में एक मील का पत्थर साबित होगा।”
पहली पुस्तक “कथक नृत्य प्रणेता और संरक्षक : राजा चक्रधर सिंह” राजा चक्रधर सिंह के जीवन, उनके बचपन, शिक्षा, रायगढ़ रियासत, कला और कलाकारों के संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका, रायगढ़ घराने की स्थापना और कथक नृत्य के विकास में उनके योगदान पर केंद्रित है। इसमें उनके द्वारा रचित अनूठी ताल और बंदिशों का भी उल्लेख किया गया है।
दूसरी पुस्तक “रायगढ़ घराने की कथक रचनाओं का सौंदर्यबोध” में रायगढ़ घराने की रचनाओं की विशिष्टताओं, सौंदर्यशास्त्र और उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण है। पुस्तक में राजा चक्रधर सिंह की ठुमरी, गजल, भजनों आदि का भी जिक्र है।