पुलिस ने कोर्ट को बताया, कुश्ती संघ प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न आरोपों की जांच के लिए SIT गठित

By : hashtagu, Last Updated : May 12, 2023 | 2:09 pm

नई दिल्ली, 12 मई (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को यहां एक अदालत को सूचित किया कि भारतीय कुश्ती महासंघ (wfi) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल की राउज एवेन्यू अदालत में लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मामले में एक सीलबंद कवर के तहत एक स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है और इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि मामले में यौन अपराध शामिल हैं।

एसआईटी टीम में एक महिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सहित 10 अधिकारी हैं। अधिकारी ने कहा, महिला पहलवानों द्वारा दायर शिकायतों के आधार पर विभिन्न राज्यों से जानकारी एकत्र करने के लिए टीम का गठन किया गया है।

अदालत को यह भी बताया गया कि पीड़िता में से एक का बयान संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दिन में दर्ज किया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 मई को मुकर्रर की है। कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।

ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुके बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट जैसी प्रमुख भारतीय पहलवान 23 अप्रैल से (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने भी पहलवानों को अपना समर्थन दिया है और सोमवार को विरोध में शामिल होने के लिए हरियाणा और पंजाब से पहुंचे थे।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने जांच की निगरानी और अदालत के समक्ष कथित पीड़ितों के बयान दर्ज करने की मांग करने वाली पहलवानों की याचिका का विरोध करने पर पुलिस को नोटिस जारी किया था। मंगलवार को दिल्ली महिला आयोग ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) प्रणव तायल को भी समन जारी किया।

महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले में 28 अप्रैल को दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी – एक यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत एक नाबालिग लड़की का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने और दूसरी शिकायतकर्ताओं का यौन उत्पीड़न करने के खिलाफ।