हर साल क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस?

By : hashtagu, Last Updated : April 10, 2025 | 7:13 pm

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता अगर कोई है, तो वह मां(Mother) का है। मां ही हमें दुनिया में लाती है, पाल-पोषकर बड़ा करती है और जिंदगी जीने का ककहरा सिखाती है। लेकिन, मां बनने का यह सफर इतना आसान नहीं होता। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कई महिलाएं अपनी जान तक गंवा देती हैं। वे उस प्रसव पीड़ा को सहन नहीं कर पातीं और असमय दुनिया को अलविदा कह जाती हैं।

केंद्र सरकार की तरफ से सुरक्षित मातृत्व के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जिनके सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं। हर साल 11 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस’ (‘National Safe Motherhood Day’)मनाया जाता है। इसका मकसद है जागरूकता फैलाकर मां बनने की प्रक्रिया में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाना।

राष्ट्रीय मातृत्व सुरक्षा दिवस के मौके पर सीके बिरला अस्पताल की डॉ. आस्था दयाल और फोर्टिस अस्पताल की डॉ. उमा वैद्यनाथन से आईएएनएस ने खास बातचीत की। डॉ. दयाल ने कहा कि 11 अप्रैल को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का जन्म हुआ था। उन्होंने देश में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कदम उठाकर उसे जमीन पर उतारने का काम किया था। व्हाइट रिबन एलायंस ने भारत सरकार के साथ मिलकर यह निर्णय लिया था कि देश में एक दिन ऐसा होना चाहिए, जिस पर माताओं के स्वास्थ्य के बारे में खुलकर चर्चा हो सके, लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए। अंततः 11 अप्रैल का चयन किया गया। इस दिन लोगों को माताओं के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है।

उन्होंने कहा कि भारत ने ही इस दिन को मनाने की पहल की थी। इस दिन हम लोगों से मातृत्व सुरक्षा के बारे में चर्चा करते हैं और आम लोगों को इसे लेकर जागरूक करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह भी है कि हम मातृत्व मृत्यु को कम करने की कोशिश करें, ताकि माताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस दिशा में हमें सुरक्षा के मोर्चे पर जो भी कदम उठाने चाहिए, उसे उठाने में किसी भी प्रकार का गुरेज नहीं होना चाहिए।

डॉ. वैद्यनाथन बताती हैं कि देश में मातृत्व मृत्यु का सबसे बड़ा कारण पीपीएच यानी प्रसव के दौरान अत्यधिक खून का बहना होता है। इसके अलावा, ब्लड प्रेशर और समय पर उपचार नहीं मिल पाने की वजह से कई महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।

वह बताती हैं कि पिछले कुछ साल में मातृत्व मृत्यु में काफी सुधार देखने को मिला है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात अब भी बदतर हैं। इस दिशा में सरकार की तरफ से कई प्रकार की योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनके सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पहले कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी, जिस वजह से उनका शरीर गर्भधारण के लिए तैयार नहीं रहता था। ऐसी स्थिति में जब वे गर्भवती होती थीं, तो उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई बार तो उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता था, लेकिन अब लड़कियां पढ़-लिख रही हैं, उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता है, तो वे अब सही समय पर शादी कर रही हैं और सही समय पर बच्चा भी पैदा कर रही हैं। इस वजह से मातृत्व मृत्यु में काफी सुधार देखने को मिला है।

उन्होंने बताया कि आज की तारीख में कई महिलाएं सिगरेट पी रही हैं। ऐसी स्थिति में इस बात की पूरी संभावना है कि जब वे आगे चलकर मां बनेंगी, तो उनके होने वाले बच्चे को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संभावना है कि उनका बच्चा कमजोर हो, बच्चे का वजन कम हो, बच्चे को स्वास्थ्य से संबंधित दूसरी समस्याएं हों। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि वे मां बनने से पहले इन आदतों को छोड़ दें। यह उनके साथ-साथ उनके होने वाले बच्चे के लिए भी सही रहेगा।

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