देवी का एक ऐसा मंदिर, जहां पाक ने 3500 बम गिराए थे एक भी नहीं फटा था, माता रानी के चमत्कार की दास्तां

By : madhukar dubey, Last Updated : October 3, 2024 | 8:52 pm

जैसलमेर। यह कहानी है कि एक ऐसी देवी मंदिर की जहां पाकिस्तानी सैनिकों ने 3500 बम(Pakistani soldiers 3500 bombs) गिराए थे लेकिन देवी के चमत्कार से एक भी नहीं फटा। बॉर्डर फिल्म में भी इस देवी के मंदिर का जिक्र किया गया है। इस मंदिर के नाम से आज भी पाकिस्तानी सेना कांपती है। यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने पूजा की थी और चांदी के छत्र भी चढ़ाए थे। घटस्थापना के साथ शारदीय नवरात्र देश-प्रदेश के हजारों भक्त भारत-पाक सीमा से सटे तनोटराय माता मंदिर पहुंचे रहे हैं। तनोट माता मंदिर से पहले घंटियाली माता का मंदिर है। कहते हैं कि तनोट माता की यात्रा जब सफल होती है, तब घंटियाली माता के दर्शन किए जाएं।

जैसलमेर जिले से लगभग 130 किलोमीटर दूर सरहद पर ‘तनोट’नामक गांव स्थित है, जहां एक देवी का ऐसा मंदिर है जो 1965 और 1971 के युद्ध में देश के जवानों की रक्षक बनी। हम बात कर रहे हैं ‘युद्ध वाली देवी’ के नाम से प्रसिद्ध 1250 वर्ष पुराने मां तनोटराय मंदिर की। भारत पाक सीमा से सटे तनोटराय माता मंदिर(Tanotrai Mata Temple) में नवरात्रा में भक्तों का तांता लगा हुआ है।

तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है

थार की वैष्णो देवी, रुमाल वाली देवी, सैनिकों की देवी के नाम से विख्यात हैं। मां के इस चमत्कार के कारण मंदिर का जिम्मा बीएसएफ के जवानों के कंधों पर है। बीएसएफ के जवान देश की सुरक्षा के साथ ही मंदिर में पूजा-पाठ और लंगर का जिम्मा उठाए हैं। इस निज मंदिर के पास स्थित एक और छोटा मंदिर है जहां रुमाल ही रुमाल बंधे नजर आते हैं। इस कारण तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां रुमाल बांधते हैं। लोगों की मान्यता है कि जब माता उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं तो वो भक्त यहां वापस आकर उस रुमाल को खोलते हैं और मां से आशीर्वाद लेते हैं।

मंदिर में इस समय 50 हजार से भी ज्यादा आस्था के रूमाल बंधे हैं, जिनमें आम लोगों के साथ साथ वर्तमान सीएम भजनलाल शर्मा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथसिंह, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के रुमाल भी शामिल हैं।

आज भी जीवित बम मंदिर के अंदर सजाकर रखे हुए हैं

तनोट माता के मंदिर में आज भी जीवित बम मंदिर के अंदर सजाकर रखे हुए हैं। बम पाकिस्तानी फौज ने 1965 में इस मंदिर पर बरसाए थे। पाकिस्तानी फौज ने भी माता के चमत्कार को माना। युद्ध के 10 साल बाद पाकिस्तानी फौज के ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने आस्था के स्वरूप इस मंदिर में चांदी के छत्र चढ़ाए थे। ढाई साल बाद उन्हें परमिशन मिली थी। उस घटना के बाद से माता को युद्ध वाली देवी, बमों वाली माता और फौजियों की माता के नाम से पुकारा जाता है।
आज इन जीवित बमों को देखने देश-दुनिया से श्रद्धालु मंदिर आते हैं. ये भारत एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसकी देखभाल बीएसएफ करती है. मंदिर की साफ-सफाई से लेकर आरती, पूजा, भंडारा और सुरक्षा का सारा जिम्मा बीएसएफ ही संभालती है।
जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनोट माता का मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में तनोट नामक गांव में स्थित है. तनोट माता के मंदिर को ‘तनोट राय मातेश्वरीÓ के नाम से भी जाना जाता है. तनोट माता का इतिहास बताता है कि मामडिया नामक चारण की बेटी देवी आवड़ जी की तनोट माता के रूप में पूजा-अर्चना की जाती थी। तनोट माता को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। हिंगलाज माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है. तनोट माता मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 828 में राजा तणुराव (तनुजी राव) की ओर से करवाया गया था. कालांतर में भाटी राजपूतों ने अपनी राजधानी तनोट से जैसलमेर गए, लेकिन मंदिर वहीं रहा. तनोट माता का यह मंदिर स्थानीय निवासियों का एक पूजनीय स्थान हमेशा से ही रहा है।

देवी के प्रकोप से पाक सेना को उल्टे पांव लौटना पड़ा

लोंगेवाला मंदिर के पूजारी गंगा सागर ओझा, तनोटराय मंदिर के पुजारी कुन्दन मिश्रा बताते हैं, ‘तनोट माता के मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई चमत्कारिक यादें जुड़ी हुई हैं. यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है. बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना 4 किमी अंदर तक भारतीय सीमा में घुस आई थी पर युद्ध देवी के नाम से प्रसिद्ध इस देवी के प्रकोप से पाक सेना को उल्टे पांव लौटना पड़ा। पाक सेना को अपने 100 से अधिक सैनिकों के शवों को भी छोड़कर भागना पड़ा। कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे. नतीजा ये हुआ कि पाक सेना ने अपने ही सैनिकों का अंत कर दिया. इस घटना के गवाह के तौर पर आज भी मंदिर परिसर में 450 तोप के गोले रखे हुए हैं।