भोपाल, 10 सितंबर (आईएएनएस)। चुनाव जीतने की लालसा और अभिलाषा जो कुछ न कराए वो थोड़ा है। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव (Assembly elections in Madhya Pradesh) हैं और यात्राओं की राजनीति ने जोर पकड़ रखा है। कहीं धार्मिक स्थल की यात्राएं कराई जा रही हैं तो कहीं जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों की यात्राएं (Political party tours) चल रही हैं।
राज्य में विधानसभा चुनाव इसी साल होना है और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के साथ कांग्रेस को भी कहीं ज्यादा सजग और सतर्क रहने के लिए सचेत करते रहते हैं। यही कारण है कि दोनों राजनीतिक दल आगामी चुनाव में किसी तरह की चूक नहीं करना चाहते और वो सारे दाव-पेंच आजमाने में पीछे नहीं है। भाजपा ने जहां पांच स्थानों से जन आशीर्वाद यात्रा निकाली है तो वहीं कांग्रेस जन आक्रोश यात्रा निकालने की तैयारी में है।
इतना ही नहीं प्रदेश से 10 लाख लोगों को इस महाकुंभ में जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। भाजपा जन आशीर्वाद यात्राओं के जरिए जहां केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का सिलसिलेबार ब्यौरा दे रही है, वहीं कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल की याद भी दिला रही है कि उस दौर में कांग्रेस ने जनहित की योजनाओं को किस तरह से बंद किया था।
एक तरफ जहां भाजपा की जन आशीर्वाद यात्राएं निकाल रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने जन आक्रोश यात्रा निकालने का फैसला किया है। ये यात्राएं राज्य के लगभग हर हिस्से में पहुंचेगी और इन यात्राओं में कांग्रेस के तमाम दिग्गज जिनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी हिस्सा लेंगे।
एक तरफ जहां राजनीतिक दल जन आशीर्वाद और जन आक्रोश यात्रा के जरिए मतदाताओं का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कई नेता ऐसे हैं जो अपने-अपने इलाके के मतदाताओं को धार्मिक यात्राएं भी कर रहे हैं। कोई उज्जैन के महाकाल के दर्शन कर रहा है तो कोई मथुरा वृंदावन में कृष्ण की नगरी में धर्म के समुद्र में डुबकी लगाने ले जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी और भाजपा 109 सीटों पर सिमट गई थी। इस तरह दोनों ही दलों में किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। इस बार भी स्थितियां पिछले चुनाव जैसी ही हैं, लिहाजा दोनों राजनीतिक दल कोई चूक करने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि चुनाव से पहले यात्राओं की राजनीति ने जोर पकड़ रखा है।
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