मनरेगा की जगह ‘G RAM G’ कानून: क्या ग्रामीण रोजगार गारंटी का दौर खत्म हो गया?

By : hashtagu, Last Updated : December 18, 2025 | 12:10 pm

नई दिल्ली | केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के स्थान पर नए कानून G RAM G (ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन–गारंटी) को लाने की चर्चा ने देश की ग्रामीण रोजगार नीति पर बड़ी बहस छेड़ दी है। इस बदलाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब ग्रामीणों को मिलने वाली कानूनी रोजगार गारंटी समाप्त हो जाएगी।

MGNREGA के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी मिलती थी और यह योजना मांग आधारित थी। नए G RAM G कानून में इस ढांचे को बदलते हुए आवंटन आधारित मॉडल अपनाने की बात कही जा रही है, जिससे रोजगार का स्वरूप और अधिकार दोनों बदल सकते हैं।

• MGNREGA में काम मांगने पर रोजगार देना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी थी
• G RAM G में रोजगार गारंटी के बजाय तय आवंटन पर आधारित व्यवस्था
• नए कानून में अधिकतम 125 दिन तक काम का प्रावधान बताया जा रहा है
• मजदूरी और परियोजनाओं में केंद्र–राज्य की साझा जिम्मेदारी
• राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ने की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर डाल सकता है। आलोचकों का तर्क है कि इससे गरीब और भूमिहीन मजदूरों का सुरक्षा कवच कमजोर होगा, क्योंकि अब रोजगार एक अधिकार नहीं बल्कि सरकार की उपलब्धता पर निर्भर हो जाएगा।

वहीं सरकार का पक्ष है कि G RAM G कानून ग्रामीण आजीविका को ज्यादा व्यावहारिक और लचीला बनाएगा। इसके जरिए स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम, कौशल विकास और संसाधनों के बेहतर उपयोग पर जोर दिया जाएगा।

• कृषि सीजन के दौरान रोजगार कार्य सीमित किए जाने की संभावना
• योजनाओं को ग्राम स्तर पर जोड़ने का दावा
• आजीविका और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस

राजनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे पर टकराव तेज है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने एक ऐतिहासिक सामाजिक सुरक्षा कानून को कमजोर कर दिया है, जबकि सरकार इसे ग्रामीण सुधार की दिशा में जरूरी कदम बता रही है। आने वाले दिनों में संसद से लेकर सड़कों तक इस बदलाव पर बहस और तेज होने की संभावना है।