नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियों का दायरा बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन (Amendment in Jammu and Kashmir Reorganization Act 2019) किया है, जिससे राज्य के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर इस समय सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है। हमने पूरे देश में आतंकवाद पर प्रभावी नियंत्रण पा लिया है। दक्षिण कश्मीर के चार-पांच जिले हैं, जहां उनका प्रभाव है। इसलिए राज्य की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसमें कोई भी राजनीति देखना सही नहीं है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना किए जाने पर पलटवार करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्थाओं और जम्मू कश्मीर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है। अभी-अभी जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। बारामूला और अनंतनाग में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया। राज्य में पहली बार ग्राम पंचायत के भी चुनाव हुए हैं। जम्मू कश्मीर में वास्तविक अर्थों में लोकतंत्र तो अब उभर कर सामने आ रहा है लेकिन लोकतंत्र के नाम पर कश्मीर को जागीर बनाकर रखने वाले तीन परिवारों को अब अपनी जागीरदारी खिसकती हुई नजर आ रही है, इसलिए उनके दिल का यह दर्द सामने आ रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत इन बदलावों को मंजूरी दे दी है, जिसमें उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने वाली नई धाराएं शामिल हैं। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है।
अखिल भारतीय सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, वित्त विभाग मामलों में एलजी को अधिक अधिकार दिया गया है। महाधिवक्ता और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्तियों को भी मुख्य सचिव द्वारा एलजी के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाना होगा। इस तरह, जम्मू-कश्मीर के एलजी के पास अब से अधिक अधिकार होंगे।