राजकोट, 22 नवंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को मोरबी पुल ढहने को लेकर भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “इस भयानक घटना में करीब 150 लोगों की मौत हो गई, मैं इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करूंगा, मगर ताज्जुब की बात है कि इतनी बड़ी त्रासदी में सुरक्षा गार्डो को गिरफ्तार किया गया, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह संदेह पैदा करता है, क्योंकि बड़े लोगों के भाजपा से अच्छे संबंध हैं।” राजकोट और महुवा (सूरत) में जनसभाओं को संबोधित करते हुए राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा को गुजरात से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “पार्टी ने महात्मा गांधी के स्वतंत्रता-पूर्व आंदोलन से भारत जोड़ो यात्रा की प्रेरणा ली है। उस दौरान गांधी जी ने भारत को एकजुट किया था और स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था।”
एनडीए सरकार की कुछ पहलों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “गलत तरीके से की गई नोटबंदी, खराब जीएसटी ड्राफ्ट को लागू किया गया और क्रेडिट लाभ के लिए भरे जाने वाले कई फॉर्म तक गलत निकले, कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए देश में लॉकडाउन की अचानक घोषणा ने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दी। देश के छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगपतियों को मुश्किल में डाल दिया, उन्हें इकाइयों को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया, बेरोजगार हुए हजारों मजदूरों को अपने मूल स्थानों तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।”
राहुल ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने देश के भीतर दो राष्ट्र बनाए हैं। एक तरफ सुपर रिच लोग हैं जो कुछ भी सपना देख सकते हैं और हासिल कर सकते हैं, चाहे वह बंदरगाह हो या हवाईअड्डे या सार्वजनिक क्षेत्र खरीद सकते हैं और तरफ गरीब और मध्यम वर्ग का देश है, जिसे हर चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जो लोग गरीबी से उबरे थे, उन्हें फिर से गरीबी की ओर धकेल दिया गया।
उन्होंने बताया कि देश के किसान इस समय कैसा महसूस कर रहे हैं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब किसान उनसे मिले तो शिकायत की कि “तीन-चार अरबपति उद्योगपति कर्ज के रूप में लाखों रुपये लेते हैं और उनका कर्ज माफ कर दिया जाता है, जबकि किसान कुछ हजार या एक लाख रुपये का कर्ज लेते हैं तो वह रकम माफ नहीं की जाती, क्यों?” उन्होंने कहा कि जब वह किसानों की दुर्दशा देखते हैं तो उन्हें पीड़ा होती है।
इससे पहले, राहुल जब सूरत जिले के महुवा में आदिवासियों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने जीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी से अपने भाषण का गुजराती में अनुवाद करने के लिए कहा, लेकिन कुछ मिनट बाद जनता की मांग पर उन्होंने सीधे हिंदी में ही संबोधित किया।