नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। मणिपुर में हुए हिंसा के तांडव के बाद भी केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लागू किया ? मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री पद से क्यों नहीं हटाया ? (Why was Biren Singh not removed from the post of Chief Minister?) विपक्षी दलों के इन सवालों का गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने दिया।
जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है, जब मुख्यमंत्री या राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है। अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि केंद्र ने राज्य के डीजीपी को बदल दिया और मणिपुर सरकार ने उस फैसले को स्वीकार कर लिया, केंद्र ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को भी बदल दिया और मणिपुर सरकार ने उस फैसले को भी स्वीकार कर लिया।
उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं इसलिए मुख्यमंत्री को नहीं हटाया गय। उन्होंने सदन में कहा कि मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत तब पड़ती है जब वह सहयोग नहीं करते हैं लेकिन यहां मणिपुर के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।
अमित शाह ने यह भी कहा कि वह मणिपुर मसले पर विपक्ष की एक बात से सहमत हैं कि वहां पर हिंसा का तांडव हुआ है। हम भी दुखी हैं। जो घटना हुई वह शर्मनाक है लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी अधिक शर्मनाक है।
अमित शाह ने मणिपुर के वीडियो को समाज के नाम पर एक धब्बा बताते हुए कहा कि कोई भी इसका समर्थन नहीं कर सकता, वह खुद भी इससे दुखी हैं। लेकिन, यह सवाल जरूर उठता है कि 4 मई की घटना का वीडियो अगर पहले से किसी के पास था तो उसने राज्य के डीजीपी को क्यों नहीं दिया ?
मणिपुर की पुलिस को क्यों नहीं दिया और संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले इसे क्यों रिलीज किया गया ? अमित शाह ने मणिपुर में हुई कई नस्लीय हिंसा का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि मणिपुर के इतिहास में सबसे ज्यादा तेजी से इस बार सरकार ने काम किया। वीडियो आते ही जिम्मेदार लोगों को अरेस्ट कर लिया गया और अब सीबीआई जांच जारी है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं तीन दिन तीन रात मणिपुर में रहे। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 23 दिन तक मणिपुर में रहें। वह दोनों समुदायों के साथ बातचीत कर राज्य में लगातार शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
अमित शाह ने दोनों समुदायों से बातचीत करने और राज्य में शांति स्थापित करने की अपील करते हुए कहा कि वह दोनों समुदायों से निवेदन करते हैं कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है, आइए भारत सरकार से बातचीत कीजिए। भारत सरकार का राज्य की डेमोग्राफी बदलने का कोई इरादा नहीं है। अफवाह पर भरोसा नहीं करें। संवेदना के साथ बातचीत कर राज्य में शांति स्थापित करने में सहयोग करें। इसके साथ ही उन्होंने विरोधी दलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इस संवेदनशील घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।