टोनही प्रताडऩा से पीडि़त परिवार को तुरंत मुआवजा मिले-डॉ. दिनेश मिश्र
By : madhukar dubey, Last Updated : November 25, 2024 | 6:41 pm
रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्यों ने कसडोल के ग्राम छरछेद का दौरा कर जादू-टोना के संदेह(Suspected of witchcraft after visiting Chharchhed village of Kasdol) में प्रताडि़त परिवार से जाकर मुलाकात की। उन्हें सांत्वना दी और उन्हें ढाढस बंधाया। समिति के सदस्यों की टीम में डॉ. दिनेश मिश्र , डॉ. शैलेश जाधव, डॉ. एच. केएस गजेंद्र शामिल रहे। समिति के सदस्य कसडोल के छरछेद जाकर केवट परिवार से मिले। जहां पिछले सितंबर में चार सदस्यों की हत्या जादू टोने के संदेह (Four members murdered in September on suspicion of witchcraft)में कर दी गई थी, जिसमें से एक मृतक11 माह का मासूम बच्चा भी था।
उक्त परिवार की सदस्य वरिष्ठ सदस्य मोगरा बाई केवट जिस पर जादू टोना करके बीमार करने का शक किया जा रहा था। समिति ने उससे व उसकी बेटी चार बाई से बातचीत की।
मोगरा बाई बताया कि वह तो खुद के इलाज के लिए गांव से बाहर गई थी। इसी दौरान पड़ोस के छह लोगों ने आकर उनके परिवार के सदस्यों पर घातक हमला किया, जो घर के एक कमरे में बैठे हुए थे। हमलावर द्वारा पत्थर तोडऩे का औजार घन और घातक हथियारों से सभी परिवार के सदस्यों पर हमला कर दिया गया।
इसमें चेतराम, जमुना बाई केवट, यशोदा बाई केवट और एक साल के बच्चे की मौत हो गई। मोगरा बाई ने बताया जब वह अपना उपचार करने के बाद लौट कर आई, तब उसने देखा, घर में मजमा लगा हुआ था। उसकी बेटी ने बताया उनके पूरे गांव में किसी भी व्यक्ति से कोई व्यक्ति गत परेशानी, रंजिश नहीं है और भी मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। इस प्रकार की घटना होने से न केवल अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बल्कि अन्य आर्थिक समस्या भी पैदा हो गई है और उन्हें अब तक शासन द्वारा घोषित मुआवजा भी प्राप्त नहीं हुआ है, जिसकी सितंबर में घोषणा की गई थी।
डॉ.दिनेश मिश्र ने वहां उपस्थित ग्रामीणों से कहा जादू-टोने जैसी बातों का कोई अस्तित्व नहीं होता है। किसी व्यक्ति को न ही जादू टोने से बीमार किया जा सकता है और न उसे किसी प्रकार के चमत्कार से ठीक किया जा सकता है। जादू टोना एक काल्पनिक मान्यता है, कोई महिला टोनही या डायन नहीं होती। यहां तो जिस महिला पर जादू टोने कर दूसरों बीमार करने का शक किया जा रहा है । वह तो स्वयं बीमार है, उसमें अगर इतनी शक्ति होती तो वह खुद ही कभी बीमार नहीं पड़ती। वह तो खुद बीमार थी और अपने इलाज के लिए घर से बाहर निकली थीा। अंधविश्वास में पड़ा पड़ोसी परिवार उसे ही सबक सिखाने निकला था और यह हत्याकांड हो गया।
ग्रामीणों को इस प्रकार किसी भी अंधविश्वास में नहीं पढऩा चाहिए और कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। डॉ. मिश्र ने राज्य शासन को पत्र लिख कर पीडि़त परिवार को तुरंत मुआवजा प्रदान करने की मांग की है। डॉक्टर मिश्र ने कहा जिला प्रशासन को इस संबंध में तुरंत कदम उठाना चाहिए। साथ ही यह सुरक्षित किया जाना चाहिए की पीडि़त परिवार के बचे सदस्यों पर किसी भी प्रकार का हमला न हो पाए।
समिति के सदस्यों ने जनपद अध्यक्ष श्री सिद्धांत मिश्र व ग्राम छरछेद के सरपंच भरतदास मानिकपुरी के साथ भी चर्चा की। कसडोल के ग्रामीण अंचल में अंधविश्वास के विरुद्ध एक जागरूक वातावरण बनाने के लिए चर्चा की। समिति के सदस्य ग्रामीण छात्र-छात्राओं और से भी मिले और अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ाने के संबंध में चर्चा की।
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