रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन स्मृति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र (Dr. Dinesh Mishra) ने असम में डायन के संदेह में एक महिला के साथ मारपीट कर जिंदा जलाने (Thrash a woman and burn her alive) की घटना तथा एक दूसरी घटना में एक दंपत्ति को मारपीट कर गांव से बाहर निकाले जाने की घटना की कड़ी निन्दा की है। तथा इन दोनों मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी एवम कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
डॉ.दिनेश मिश्र ने कहा दो दिनों पहले असम के सोनितपुर जिले में अन्धविश्वास के चलते एक दिल दहलाने वाली घटना हुई है. जिसमें एक महिला संगीता को कुछ लोगों ने डायन के संदेह में पहले बर्बर तरीके से पीटा और उसके बाद उसे आग के हवाले कर दिया।
डॉक्टर मिश्र ने बताया जानकारी मिली है कि 24 दिसंबर (रविवार) की रात को वारदात को अंजाम दिया गया है. तेजपुर थाना क्षेत्र के बाहबरी गांव में 30 वर्षीय महिला पर छह लोगों के समूह में पहले धारदार हथियार से कई बार वार किया। जब वह लहूलुहान होकर गिर पड़ी तो उस पर लकड़ियां डालकर आग लगा दी गई. मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
बताया जाता है महिला पर जादू टोना करने का आरोप लगाया जाता था। रविवार की रात जब वारदात को अंजाम दिया जा रहा था तो आस पास के लोग भी मौके पर मौजूद थे। ग्राम प्रधान को जब इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी लेकिन जब तक पुलिस पहुंची तब तक देर हो गयी थी और महिला मारी जा चुकी थी।
असम में ही पिछले दो दिनों में डायन प्रताड़ना की दूसरी घटना में चटाई नाइन माइल गांव में एक वृद्ध महिला और उसके पति के साथ डायन के संदेह में न केवल मारपीट की गई ,उनके घर के सामान को सड़क पर फेंक दिया गया और उन्हें अंत में गांव से बाहर भगा दिया गया। प्रताड़ित दंपत्ति ने चारी दुवार थाने में शिक़ायत की है। बहरहाल वे अब गांव में जाने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा — देश में जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, झाड़-फूँक की मान्यताओं एवं डायन (टोनही )के संदेह में प्रताडऩा तथा सामाजिक बहिष्कार के मामलों की भरमार है। डायन के सन्देह में प्रताडऩा के मामलों में अंधविश्वास व सुनी-सुनाई बातों के आधार पर किसी निर्दोष महिला को डायन घोषित कर दिया जाता है तथा उस पर जादू-टोना कर बच्चों को बीमार करने, फसल खराब होने, व्यापार-धंधे में नुकसान होने के कथित आरोप लगाकर उसे तरह-तरह की शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा दी जाती है। कई मामलों में आरोपी महिला को गाँव से बाहर निकाल दिया जाता है। बदनामी व शारीरिक प्रताडऩा के चलते कई बार पूरा पीडि़त परिवार स्वयं गाँव से पलायन कर देता है। अनेक मामलों में महिलाओं की हत्याएँ भी हुई है अथवा वे स्वयं आत्महत्या करने को मजबूर हो जाती है। जबकि जादू-टोना के नाम पर किसी भी व्यक्ति को प्रताडि़त करना गलत तथा अमानवीय है।
वास्तव में किसी भी व्यक्ति के पास ऐसी जादुई शक्ति नहीं होती कि वह दूसरे व्यक्ति को जादू से बीमार कर सके या किसी भी प्रकार का आर्थिक नुकसान पहुँचा सके। जादू-टोना डायन, टोनही, नरबलि के मामले सब अंधविश्वास के ही उदाहरण हैं। महाराष्ट्र छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश ओडीसा, झारखण्ड, बिहार, आसाम सहित अनेक प्रदेशों में प्रतिवर्ष टोनही/डायन के संदेह में निर्दोष महिलाओं की हत्याएं हो रही हैं।
डॉ मिश्र ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अन्धविश्वास में पड़ कर किसी निर्दोष को प्रताड़ित न करें। बीमार होने पर चिकित्सक से संपर्क करें,बाकी किसी भी समस्या के समाधान के लिए अंधविश्वासी में पड़ने की बजाय सरपंच या किसी उचित व्यक्ति से मार्गदर्शन लें।
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