8 साल में बदला भारतीय विमेंस क्रिकेट: 300 रन बनाना आम, मेंस टीम जितनी सैलरी और WPL ने दी जीत की सोच

By : dineshakula, Last Updated : November 2, 2025 | 9:37 am

मुंबई: 23 जुलाई 2017 को लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में भारतीय महिला क्रिकेट टीम वनडे वर्ल्ड कप (Indian women’s cricket) जीतने के सपने के साथ उतरी थी, लेकिन इंग्लैंड से फाइनल 9 रन से हार गई। उस मैच में हरमनप्रीत कौर ने फॉर्म में रहकर शानदार प्रदर्शन किया था। अब 8 साल बाद वही हरमन टीम की कप्तान हैं और भारत एक बार फिर वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंच चुका है। इन 8 सालों में भारतीय महिला क्रिकेट का चेहरा पूरी तरह बदल गया है — टीम आत्मविश्वास से भरी है, नए चेहरे उभरकर आए हैं और खिलाड़ियों की सोच अब अटैकिंग हो गई है।

पहला बड़ा बदलाव 2017 के वर्ल्ड कप के बाद शुरू हुआ। तब टीम 229 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ 9 रन से हारी थी। उस हार के बाद हरमनप्रीत ने कहा था – “हम जीत नहीं पाए, लेकिन अब लोग हमें जानते हैं।” कई करीबी हारों के बाद भारत ने 30 अक्टूबर 2025 को सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में जगह बनाई। भारत ने इस मैच में वनडे वर्ल्ड कप के इतिहास का सबसे बड़ा चेज़ (339 रन) 9 गेंदें शेष रहते हासिल किया।

दूसरा बड़ा बदलाव खिलाड़ियों की सैलरी में आया। BCCI सचिव जय शाह के कार्यकाल में महिला क्रिकेट को नई ऊंचाई मिली। फिटनेस ट्रैकिंग, प्रोफेशनल ट्रेनिंग, सपोर्ट स्टाफ और विश्लेषण प्रणाली को मजबूत किया गया। 2019 में सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को नया रूप मिला और 2025 तक कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों को सालाना 75 लाख से 3 करोड़ रुपए तक मिलने लगे। 2023 में BCCI ने पुरुष और महिला खिलाड़ियों की मैच फीस समान कर दी — टेस्ट के लिए 15 लाख, वनडे के लिए 6 लाख और टी-20 के लिए 3 लाख रुपए। इससे महिला क्रिकेटर्स ने क्रिकेट को करियर के रूप में अपनाना शुरू किया।

तीसरा बड़ा कदम था WPL (विमेंस प्रीमियर लीग) की शुरुआत, जो 2023 में हुई। इसने भारतीय क्रिकेट को बदल दिया। विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने, इंटरनेशनल स्तर की ट्रेनिंग और दबाव की स्थितियों का अनुभव मिलने से युवा खिलाड़ी मैच विनर बन रहीं। जैसे IPL ने पुरुष क्रिकेट को जसप्रीत बुमराह और सूर्यकुमार यादव दिए, वैसे ही WPL ने यास्तिका भाटिया, श्रेयांका पाटिल, अमनजोत कौर और क्रांति गौड़ जैसी नई स्टार्स दीं।

अब भारतीय टीम 300 रन बनाना आम बात समझती है। 1978 से 2022 तक टीम सिर्फ 4 बार 300 का आंकड़ा पार कर सकी थी, लेकिन पिछले दो साल में 12 बार ऐसा हुआ, जिनमें आयरलैंड के खिलाफ 435 रन का रिकॉर्ड भी शामिल है। कोच अमोल मजूमदार ने कहा था – “अगर हम 300 रन नहीं बनाएंगे तो वर्ल्ड कप नहीं जीत पाएंगे।” इस सोच ने ही टीम को अटैकिंग बनाया।

पांचवां बदलाव नई जनरेशन की एंट्री से आया। अब टीम सिर्फ दिल्ली या मुंबई की नहीं रही, बल्कि रायगढ़, हिसार, आगरा और सिलचर जैसे छोटे शहरों से भी खिलाड़ी टीम में जगह बना रही हैं। श्री चरणी, क्रांति गौड़, प्रतिका रावल और ऋचा घोष जैसी युवा खिलाड़ियों ने वर्ल्ड कप में दमदार प्रदर्शन किया।

आज मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वर्ल्ड कप फाइनल खेला जाएगा। दोनों टीमें पहली बार खिताब के लिए उतरेंगी। भारत की नई सोच, युवा जोश और अनुभव का मेल इस बार इतिहास रच सकता है।