‘सकुच सलज खिलती शेफाली, अलस मौलश्री डाली-डाली... कवियित्री महादेवी वर्मा की कविता की ये पंक्तियां छोटे-छोटे सफेद फूलों वाले
आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियां हैं, जो शारीरिक समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। इनमें मरुआ भी एक ऐसी ही जड़ी-बूटी है।
मकोई (मकोय) को ब्लैक नाइटशेड के नाम से पहचाना जाता है। यह एक छोटा सा पौधा है जो फसलों के बीच खरपतवार की तरह उग आता है।
कचूर एक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है, जो कैंसर, पाचन, त्वचा, श्वसन और हड्डियों की समस्याओं के लिए फायदेमंद है
मोटे अनाजों को इनके पोषक तत्वों के कारण 'सुपर फूड' कहा जाता है। ये अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं।
होली (Holi) यानी कि रंगों और खानपान का पर्व है, इस मौके पर आयुर्वेद के जरिए सेहत को भी दुरुस्त करने का अवसर होता है।
प्रदेश में आयुष योजना लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसके प्रति लोगों में इलाज कराने के लिए रूचि भी बढ़ी है।