इस अध्ययन में 12,287 लोगों को शामिल किया गया। इसमें से 15 प्रतिशत लोगों ने छह महीने की निगरानी अवधि में औसतन रात के 20 प्रतिशत से अधिक समय तक खर्राटे लिए।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (यूनिएसए) के शोधकर्ताओं के अनुसार, 24 घंटों के भीतर,कई दिनों या हफ्तों में रक्तचाप (बीपी) में उतार-चढ़ाव बिगड़ेे हुए स्वास्थ्य का संकेत है।
हाइपरटेंशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, यह पहला अध्ययन है जो एक समान श्वसन वायरस की तुलना में कोविड संक्रमण वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े विकास और जोखिम कारकों की जांच करता है।
उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) इसके लक्षण विकसित होने से पहले वर्षों तक चुपचाप शरीर को नुकसान पहुंचाता है, और विभिन्न अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
युवा भारतीयों में उच्च रक्तचाप के मामलों में यह वृद्धि चिंता का कारण है और इसमें योगदान देने वाले कारकों और संभावित निवारक उपायों की बारीकी से जांच की जरूरत है।
द लैंसेट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों के दौरान भारत में अधिक वजन और मोटापे का प्रसार दोगुना हो गया है, जिससे रोगों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।