कहते हैं जब भी अपने भेंट मुलाकात में भूपेश (Bhupesh) पहुंचते हैं, वहां वे बच्चों और छात्र-छात्रों के भी विचार सुनते हैं। उन्हें दुलार प्यार के साथ एक अभिभावक की भूमिका में आ जाते हैं।