सोशल मीडिया को अक्सर नींद खराब करने वाला माना जाता है, लेकिन नॉर्वे में 18 से 28 साल के 45,202 युवाओं के एक सर्वे में पता चला कि स्क्रीन पर क्या देखा जा रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर भारत में लोगों में बढ़ती अनिद्रा की समस्या पर चिंता व्यक्त की।